RSOS➤Rajasthan State Open School
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल
- औपचारिक शिक्षा में जहाँ गुरु के माध्यम से सीखा जाता है वहाँ अनौपचारिक शिक्षा में एकलव्य की तरह अपने प्रयत्न से सीखा जाता है।
- महात्मा बुद्ध ने कहा है ‘‘अप्प दीपो भव ’’ अर्थात् अपने प्रकाश स्वयं बनो।
- स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि बालकों को सिखाने और पौधों को उगाने की बात एक ही है। पौधा प्रकृति से विकसित होता है। हम केवल उसके विकसित होने में सहायता कर सकते हैं। हम बालकों को सिखाते हैं यह बात ही सारी गड़बड़ पैदा कर देती है। हमें बालकों के लिए केवल वे संसाधन जुटा देने चाहिए कि वे अपने हाथ, पैर और कान आदि का अपनी बुद्धि से भली प्रकार उपयोग करके स्वयं को सिखा सकें।’
- हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 10 नवम्बर, 1963 ई. को शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में कहा था ‘‘ मैं पूरी तरह इस बात का कायल हूँ कि सर्वसुलभ शिक्षा हमारी प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए बाकी सब चाहे वह उद्योग हो चाहे कृषि या कुछ और जो भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है, उसका सही ढंग से विकास तभी होगा जब पृष्ठभूमि में व्यापक स्तर पर शिक्षा होगी। ’’ सिर्फ शिक्षा के लिए वातावरण बनाने की आवश्यकता है बाकी बातों के लिए शिक्षा अपने आप वातावरण बना लेगी।
- शिक्षा प्राप्ति का एकमात्र साधन स्कूल ही नहीं है बल्कि स्कूल/ कॉलेज में बिना जाये अनौपचारिक रूप से भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है।
- औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा परस्पर संपूरक हैं।
- समाज में मिलने वाली अनौपचारिक शिक्षा व्यक्ति में अपना ज्ञान स्वयं सृजित करने की स्वाभाविक क्षमता को विकसित करती है ।
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल
- शिक्षा की सर्वसुलभता एवं सहजता के लिए राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण 1958 के तहत् पंजीकृत है, जिसकी स्थापना 21 मार्च, 2005 को जयपुर में की गई।
- यह एक स्वायत्तशासी संस्था है।
- ‘राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल’, स्कूल से बाहर के सीखने के संसाधनों को औपचारिक मान्यता देने की युक्ति है।
- स्टेट ओपन स्कूल की 10वीं व 12वीं की परीक्षा हेतु न्यूनतम आयु क्रमशः 14 व 15 वर्ष है। इस आयु का कोई भी व्यक्ति पंजीयन करवा सकता है।
- आयु की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है ।
- पंजीयन राज्य भर के 555 सन्दर्भ केन्द्रों पर करवाया जा सकता है।
- “सबके लिए शिक्षा” ही राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल का मूल उद्देश्य है। जो बालक/बालिका किसी न किसी कारण से विद्यालय जाने में असमर्थ हैं या नहीं जा पाये, उन्हें घर बैठे ही शिक्षा प्रदान करने हेतु ओपन स्कूल की अवधारणा का विकास हुआ, जिसमें पत्राचार (Correspondence) के माध्यम से पढ़ने के इच्छुक बालक/बालिकाओं को 12वीं तक की शिक्षा प्रदान की जाती है।
- प्रदेश के विद्यालय जाने से वंचित छात्र-छात्राओं को घर बैठे ही 12वीं तक की शिक्षा पत्राचार के माध्यम से प्रदान करने हेतु राज्य सरकार द्वारा स्टेट ओपन स्कूल की स्थापना की गई है।
आर.एस.ओ.एस. का संगठनात्मक स्वरूप
शासी परिषद :
• अध्यक्ष – शिक्षा मंत्री
निष्पादन परिषद
• सभापति – शिक्षा सचिव
• निदेशक (आर.ए.एस.), RSOS
• सचिव (संयुक्त निदेशक, शिक्षा विभाग)
• अनुभाग / प्रकोष्ठ अधिकारी
विषयों का चयन
- कक्षा 10वीं में 17 व 12वीं में 21 विषयों में से किन्ही न्युनतम पाँच विषयों को चयन करने की छूट होती है। आर.एस.ओ.एस. के द्वारा परीक्षा में बैठने के लिए गणित एवं अंग्रेजी विषय की अनिवार्यता नहीं है।
अंक सुधार
- अभ्यर्थी के उत्तीर्ण होने के आगामी 1 वर्ष में न्यूनतम एक विषय एवं अधिकतम सात विषयों में अंक सुधार कर प्रतिशत में वृद्धि करने की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
आंशिक प्रवेश
- अभ्यर्थी योग्यता अभिवृद्धि हेतु न्यूनतम 1 व अधिकतम 4 विषयों में (उत्तीर्ण विषयों के अतिरिक्त विषयों में) आंशिक प्रवेश में आवेदन कर सकता हैं।
टी.ओ.सी.
- अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों से अनुत्तीर्ण होने पर अधिकतम उत्तीर्ण दो विषयों एवं राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल , जयपुर के अभ्यर्थियों के अधिकतम चार विषयों में क्रेडिटों का स्थानान्तरण (टी.ओ.सी.) का लाभ दिये जाने का प्रावधान भी है।
व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम /PCP
- अध्ययन में आने वाली समस्याओं के निराकरण हेतु विषय विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में वर्ष में एक बार 15 दिवसीय (25 दिसम्बर से 8 जनवरी तक) व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रमों का आयोजन सभी सन्दर्भ केन्द्रों पर किया जाता है।
सार्वजनिक परीक्षाएँ
- एक वर्ष में दो बार परीक्षाएँ अक्टूबर-नवम्बर व मार्च-अप्रेल में होती हैं। एक बार पंजीयन करवाने के पश्चात् उत्तीर्ण होने के लिए अभ्यर्थी को 5 वर्ष में 9 अवसर मिलते हैं।
मान्यता
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल द्वारा जारी 10वीं व 12वीं के प्रमाण-पत्रों को केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा CBSE., माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान रेलवे बोर्ड, सेना या अन्य बोर्डों के समकक्ष मान्यता प्राप्त है।
विशेषताएँ
- पाठ्यक्रम की सरलता व शिक्षा की सहजता के साथ-साथ परीक्षा का लचीलापन स्टेट ओपन स्कूल की विशेषता है।
- तनावमुक्त होकर अभ्यर्थी अपनी सुविधा अनुसार परीक्षा उत्तीर्ण कर सकता है।
- ओपन स्कूल से जुड़कर अभ्यर्थी अपने ज्ञान व अनुभव का सुदृढ़ीकरण व संवर्धन करता है। उसके ज्ञान का प्रमाणीकरण होने पर जहाँ आत्म सन्तोष मिलता है वहीं आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
वेबसाइट
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के बारे में विस्तृत जानकारी स्कूल की Website: http://www.education.rajasthan.gov.in/rsos पर देखी जा सकती है।
अध्ययन सामग्री
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के शिक्षार्थियों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान कॉपीराईट कर, पाठ्यपुस्तकें राज. राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल द्वारा तैयार करवाई जाती थी ।
- सत्र 2014-15 से राज. स्टेट ओपन स्कूल, जयपुर स्वयं के स्तर पर पाठ्यपुस्तकि मुद्रित करा रहा है।
- अभ्यर्थियों को पाठ्यपुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं।
- सत्र 2016-17 से ई-बस्ता लागू कर पाठ्यक्रम ऑनलाइन कर दिया गया है । कक्षा 12 में समाजशास्त्र, इतिहास एवं कक्षा 10 में सामाजिक विज्ञान, भारतीय संस्कृति एवं विरासत तथा राजस्थानी विषयों की पुस्तकें राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के स्तर पर तैयार कर 2017-18 से मुद्रित करवायी जा रही हैं।
परीक्षा संचालन
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल अब तक कुल 29+ सार्वजनिक परीक्षाएं आयोजित करवा चुका है।
- वर्ष 2009 तक की परीक्षा, उनका परिणाम, प्रमाण-पत्र वितरण एवं संशोधन का कार्य NIOS नोएडा द्वारा किया जाता था लेकिन
- वर्ष 2010 से यह सम्पूर्ण कार्य राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल द्वारा स्वयं के स्तर पर किया जा रहा है।
एकलव्य व मीरा पुरस्कार
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल द्वारा वर्ष 2014 से कक्षा 10वी व 12वीं में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले पुरुष व महिला परीक्षार्थियों (कुल 4) को क्रमश: एकलव्य व मीरा पुरस्कार के रूप में 5100/- नकद व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाता था।
- फरवरी 2019 में सरकार द्वारा इस पुरस्कार की राशि को बढ़ाकर 21000 रु. कर दिया गया है।
- राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल, जयपुर से कक्षा 10वीं एवं 12वीं में राज्य स्तर पर सर्वाधिक अंक (न्यूनतम प्राप्तांक 60 %) प्राप्त करने वाले कक्षा 10 में 2 एवं कक्षा 12 में 2 कुल 4 अभ्यर्थियों को मीरा/एकलव्य पुरस्कार स्वरूप 21000 रु मय प्रमाण पत्र एवं
- प्रत्येक जिला स्तर पर सर्वाधिक अंक (न्यूनतम प्राप्तांक 60 %) प्राप्त करने वाले कक्षा 10 में 2 एवं कक्षा 12 में 2 कुल 4 अभ्यर्थियों को मीरा/एकलव्य पुरस्कार स्वरूप 11000 रु. मय प्रमाण-पत्र दिये जाते हैं।
- राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के स्थान पर उनके गृह जिलों के द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों (न्यूनतम प्राप्तांक 60 प्रतिशत) को जिला स्तर पर मीरा-एकलव्य पुरस्कार दिया जाता है।
राज्य स्तर पर प्रथम ➤21000 द्वितीय ➤11000
जिला स्तर पर प्रथम➤11000 द्वितीय➤5100
खंड स्तर पर प्रथम➤5100 द्वितीय➤3100
Note: प्रथम प्रयास में सम्पूर्ण विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही उक्त पुरस्कारों के लिए पात्र है। क्रेडिट स्थानान्तरण के अभ्यर्थी उक्त पुरस्कारों के लिए पात्र नहीं है।
RSOS➤Rajasthan State Open School
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल
• औपचारिक शिक्षा में जहाँ गुरु के माध्यम से सीखा जाता है वहाँ अनौपचारिक शिक्षा में एकलव्य की तरह अपने प्रयत्न से सीखा जाता है।
• महात्मा बुद्ध ने कहा है ‘‘अप्प दीपो भव ’’ अर्थात् अपने प्रकाश स्वयं बनो।
• स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि बालकों को सिखाने और पौधों को उगाने की बात एक ही है। पौधा प्रकृति से विकसित होता है। हम केवल उसके विकसित होने में सहायता कर सकते हैं। हम बालकों को सिखाते हैं यह बात ही सारी गड़बड़ पैदा कर देती है। हमें बालकों के लिए केवल वे संसाधन जुटा देने चाहिए कि वे अपने हाथ, पैर और कान आदि का अपनी बुद्धि से भली प्रकार उपयोग करके स्वयं को सिखा सकें।’
• हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 10 नवम्बर, 1963 ई. को शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में कहा था ‘‘ मैं पूरी तरह इस बात का कायल हूँ कि सर्वसुलभ शिक्षा हमारी प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए बाकी सब चाहे वह उद्योग हो चाहे कृषि या कुछ और जो भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है, उसका सही ढंग से विकास तभी होगा जब पृष्ठभूमि में व्यापक स्तर पर शिक्षा होगी। ’’ सिर्फ शिक्षा के लिए वातावरण बनाने की आवश्यकता है बाकी बातों के लिए शिक्षा अपने आप वातावरण बना लेगी।
• शिक्षा प्राप्ति का एकमात्र साधन स्कूल ही नहीं है बल्कि स्कूल/ कॉलेज में बिना जाये अनौपचारिक रूप से भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है।
• औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा परस्पर संपूरक हैं ।
• समाज में मिलने वाली अनौपचारिक शिक्षा व्यक्ति में अपना ज्ञान स्वयं सृजित करने की स्वाभाविक क्षमता को विकसित करती है ।
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल
• शिक्षा की सर्वसुलभता एवं सहजता के लिए राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण 1958 के तहत् पंजीकृत है, जिसकी स्थापना 21 मार्च, 2005 को जयपुर में की गई।
• यह एक स्वायत्तशासी संस्था है।
• ‘राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल’, स्कूल से बाहर के सीखने के संसाधनों को औपचारिक मान्यता देने की युक्ति है।
• स्टेट ओपन स्कूल की 10वीं व 12वीं की परीक्षा हेतु न्यूनतम आयु क्रमशः 14 व 15 वर्ष है। इस आयु का कोई भी व्यक्ति पंजीयन करवा सकता है।
• आयु की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है ।
• पंजीयन राज्य भर के 555 सन्दर्भ केन्द्रों पर करवाया जा सकता है।
• “सबके लिए शिक्षा” ही राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल का मूल उद्देश्य है। जो बालक/बालिका किसी न किसी कारण से विद्यालय जाने में असमर्थ हैं या नहीं जा पाये, उन्हें घर बैठे ही शिक्षा प्रदान करने हेतु ओपन स्कूल की अवधारणा का विकास हुआ, जिसमें पत्राचार (Correspondence) के माध्यम से पढ़ने के इच्छुक बालक/बालिकाओं को 12वीं तक की शिक्षा प्रदान की जाती है।
• प्रदेश के विद्यालय जाने से वंचित छात्र-छात्राओं को घर बैठे ही 12वीं तक की शिक्षा पत्राचार के माध्यम से प्रदान करने हेतु राज्य सरकार द्वारा स्टेट ओपन स्कूल की स्थापना की गई है।
आर.एस.ओ.एस. का संगठनात्मक स्वरूप
शासी परिषद :
• अध्यक्ष – शिक्षा मंत्री
निष्पादन परिषद
• सभापति – शिक्षा सचिव
• निदेशक (आर.ए.एस.), RSOS
• सचिव (संयुक्त निदेशक, शिक्षा विभाग)
• अनुभाग / प्रकोष्ठ अधिकारी
विषयों का चयन
• कक्षा 10वीं में 17 व 12वीं में 21 विषयों में से किन्ही न्युनतम पाँच विषयों को चयन करने की छूट होती है। आर.एस.ओ.एस. के द्वारा परीक्षा में बैठने के लिए गणित एवं अंग्रेजी विषय की अनिवार्यता नहीं है।
अंक सुधार
• अभ्यर्थी के उत्तीर्ण होने के आगामी 1 वर्ष में न्यूनतम एक विषय एवं अधिकतम सात विषयों में अंक सुधार कर प्रतिशत में वृद्धि करने की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
आंशिक प्रवेश
• अभ्यर्थी योग्यता अभिवृद्धि हेतु न्यूनतम 1 व अधिकतम 4 विषयों में (उत्तीर्ण विषयों के अतिरिक्त विषयों में) आंशिक प्रवेश में आवेदन कर सकता हैं।
टी.ओ.सी.
• अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों से अनुत्तीर्ण होने पर अधिकतम उत्तीर्ण दो विषयों एवं राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल , जयपुर के अभ्यर्थियों के अधिकतम चार विषयों में क्रेडिटों का स्थानान्तरण (टी.ओ.सी.) का लाभ दिये जाने का प्रावधान भी है।
व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम /PCP
• अध्ययन में आने वाली समस्याओं के निराकरण हेतु विषय विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में वर्ष में एक बार 15 दिवसीय (25 दिसम्बर से 8 जनवरी तक) व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रमों का आयोजन सभी सन्दर्भ केन्द्रों पर किया जाता है।
सार्वजनिक परीक्षाएँ
• एक वर्ष में दो बार परीक्षाएँ अक्टूबर-नवम्बर व मार्च-अप्रेल में होती हैं। एक बार पंजीयन करवाने के पश्चात् उत्तीर्ण होने के लिए अभ्यर्थी को 5 वर्ष में 9 अवसर मिलते हैं।
मान्यता
• राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल द्वारा जारी 10वीं व 12वीं के प्रमाण-पत्रों को केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा CBSE., माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान रेलवे बोर्ड, सेना या अन्य बोर्डों के समकक्ष मान्यता प्राप्त है।
विशेषताएँ
• पाठ्यक्रम की सरलता व शिक्षा की सहजता के साथ-साथ परीक्षा का लचीलापन स्टेट ओपन स्कूल की विशेषता है।
• तनावमुक्त होकर अभ्यर्थी अपनी सुविधा अनुसार परीक्षा उत्तीर्ण कर सकता है।
• ओपन स्कूल से जुड़कर अभ्यर्थी अपने ज्ञान व अनुभव का सुदृढ़ीकरण व संवर्धन करता है। उसके ज्ञान का प्रमाणीकरण होने पर जहाँ आत्म सन्तोष मिलता है वहीं आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
वेबसाइट
• राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के बारे में विस्तृत जानकारी स्कूल की Website: http://www.education.rajasthan.gov.in/rsos पर देखी जा सकती है।
अध्ययन सामग्री
• राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के शिक्षार्थियों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान कॉपीराईट कर, पाठ्यपुस्तकें राज. राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल द्वारा तैयार करवाई जाती थी ।
• सत्र 2014-15 से राज. स्टेट ओपन स्कूल, जयपुर स्वयं के स्तर पर पाठ्यपुस्तकि मुद्रित करा रहा है।
• अभ्यर्थियों को पाठ्यपुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं।
• सत्र 2016-17 से ई-बस्ता लागू कर पाठ्यक्रम ऑनलाइन कर दिया गया है । कक्षा 12 में समाजशास्त्र, इतिहास एवं कक्षा 10 में सामाजिक विज्ञान, भारतीय संस्कृति एवं विरासत तथा राजस्थानी विषयों की पुस्तकें राजस्थान स्टेट ओपन स्कूृल के स्तर पर तैयार कर 2017-18 से मुद्रित करवायी जा रही हैं।
परीक्षा संचालन
• राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल से अब तक कुल 29+ सार्वजनिक परीक्षाएं आयोजित करवा चुका है।
• वर्ष 2009 तक की परीक्षा, उनका परिणाम, प्रमाण-पत्र वितरण एवं संशोधन का कार्य NIOS नोएडा द्वारा किया जाता था लेकिन
• वर्ष 2010 से यह सम्पूर्ण कार्य राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल द्वारा स्वयं के स्तर पर किया जा रहा है।
एकलव्य व मीरा पुरस्कार
• राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल द्वारा वर्ष 2014 से कक्षा 10वी व 12वीं में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले पुरुष व महिला परीक्षार्थियों (कुल 4) को क्रमश: एकलव्य व मीरा पुरस्कार के रूप में 5100/- नकद व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाता था।
• फरवरी 2019 में सरकार द्वारा इस पुरस्कार की राशि को बढ़ाकर 21000 रु. कर दिया गया है।
• राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल, जयपुर से कक्षा 10वीं एवं 12वीं में राज्य स्तर पर सर्वाधिक अंक (न्यूनतम प्राप्तांक 60 %) प्राप्त करने वाले कक्षा 10 में 2 एवं कक्षा 12 में 2 कुल 4 अभ्यर्थियों को मीरा/एकलव्य पुरस्कार स्वरूप 21000 रु मय प्रमाण पत्र एवं
• प्रत्येक जिला स्तर पर सर्वाधिक अंक (न्यूनतम प्राप्तांक 60. %) प्राप्त करने वाले कक्षा 10 में 2 एवं कक्षा 12 में 2 कुल 4 अभ्यर्थियों को मीरा/एकलव्य पुरस्कार स्वरूप 11000 रु. मय प्रमाण-पत्र दिये जाते हैं।
• राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के स्थान पर उनके गृह जिलों के द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों (न्यूनतम प्राप्तांक 60 प्रतिशत) को जिला स्तर पर मीरा-एकलव्य पुरस्कार दिया जाता है।
राज्य स्तर पर प्रथम ➤21000 द्वितीय ➤11000
जिला स्तर पर प्रथम➤11000 द्वितीय➤5100
खंड स्तर पर प्रथम➤5100 द्वितीय➤3100
Note: प्रथम प्रयास में सम्पूर्ण विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही उक्त पुरस्कारों के लिए पात्र है। क्रेडिट स्थानान्तरण के अभ्यर्थी उक्त पुरस्कारों के लिए पात्र नहीं है।