RTE ACT 2009

Table of Contents

निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009

RTE ACT 2009
शिक्षा के महत्त्व को दुष्टिगित रखते हुए राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में  संविधान के अनुच्छेद 45 में राज्य को 14 वर्ष तक की आयु के बच्चो को निःशुल्क व अनिवार्य प्रथमिक शिक्षा की व्यवस्था करने के निर्देश दिये गए है। इसी क्रम में –

86वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 संसद द्वारा पारित
• 1 दिसम्बर, 2002 को
• 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों हेतु निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार बनाने एवं इन बच्चों को शिक्षा के अवसर मुहैया कराने को माता-पिता/अभिभावक का मुल कर्त्तव्य बनाने हेतु
• महामहिम राष्ट्रपति की अनुमति12 दिसम्बर, 2002 को 
• प्रकाशित किया गयादिसम्बर, 2002 को

• इस संशोधन द्वारा संविधान में नया अनुच्छेद 21- क (मूल अधिकार ) तथा अनुच्छेद 51 क (मूल कर्त्तव्य) में नया वाक्यांश- (clause k) जोड़ा गया तथा अनुच्छेद-45 में संशोधन किया गया।

86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के नि:शुल्क व अनिवार्य
प्रारंभिक शिक्षा के मूल अधिकार को क्रियान्वित करनेे उद्देश्य से नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित किया गया
• राज्यसभा द्वारा पारित20 जलाई 2009 को

• लोकसभा द्वारा पारित4 अगस्त, 2009 को

• राष्ट्रपति की स्वीकृति अगस्त, 2009 को  

• गजट में प्रकाशित     27 अगस्त,2009 को

• इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21 क (21 A) के तहत 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के मूल अधिकार के क्रियान्वयन का प्रावधान किया गया है।

• सम्पूर्ण देश में लागू 1 अप्रैल, 2010 से(जम्मू-कश्मीर को छोड़कर

• भारत शिक्षा को बच्चों का मौलिक अधिकार घोषित करने वाला विश्व का 135 वॉ देश है।

RTE Act., 2009 के प्रावधान

अध्याय 1: प्रारंभिक (Chapter 1:Preliminary)
• धारा 1 संक्षिप्त शीर्षक, विस्तार एवं लाग होना (Shot title, extent and commencement)

• धारा 2 परिभाषाएँ (Definitions)

अध्याय 2: निः शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार
(Chapter II: Right to Free and Compulsory Education)
• धारा 3 निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (Right of child to free and compulsory education)

• धारा 4 प्रवेश न दिये गये या प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाये बालकों के लिए विशेष प्रावधान  (Special provisions for children not admitted to or who have not completed elementary education)

• धारा 5 अन्य स्कूल में स्थानांतरण का अधिकार। (Right of transfer to other school)

अध्याय 3: समुचित सरकार, स्थानीय प्राधिकारी एवं माता-पिता के कर्त्तव्य
(Chapter 3 : Duties of Appropriate Govemment, Local Authority and Parents)
• धारा 6 समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी का स्वकूल स्थापित करने का दायित्व(Duty of appropriate Government and local authority to establish school)

• धारा 7 वित्तीय व अन्य दायित्वों को वहन करना (Sharing of financial and other responsibilities)

• धारा 8 समुचित सरकार के कर्तव्य (Duties of appropriate Govermment)

• धारा 9 स्थानीय प्राधिकारी के कर्त्तव्य (Duties of local authority)

• धारा 10 माता-पिता/अभिभावक के कर्तव्य (Duty of parents and guardian)

• धारा 11 समुचित सरकार का प्री-स्कूल शिक्षा की व्यवस्था करने का कर्तव्य (Appropriate Government to provide for pre-school education)

अध्याय 4: विद्यालय एएवं शिक्षकों के उत्तरदायित्व
ChapterIV: Responsibilities of Schools and Teachers)
• धारा 12 स्कूल के दायित्व (EXtent of school’s reponsibility for free and compulsory education)

• धारा 13 कैपीटेशन फीस वसूल करने पर पाबंदी (No capitation fee and screening procedure for admission)

• धारा 14 प्रवेश के लिए आयु का सबूत (Proof of age for admission)

• धारा 15 . प्रवेश से इन्कार न किया जाना (No denial of admission)

• धारा 16 कक्षा में रोकने एवं निष्कासन का प्रतिषेध (Prohibition of holding back and expulsion)

• धारा 17 बालक के शारीरिक दण्ड एवं मानसिक उत्पीड़न का प्रतिषेध (Prohibition of physical punishment and mental harassment to child)

• धारा 18 . मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना विद्यालय स्थापित करने पर रोक (No school to be established without obtaining certificate of recognition)

• धारा 19 विद्यालय के प्रतिमान एवं मानदण्ड ( Norms and standards for school)
• धारा 20 अनुसूची का संशोधन करने की शक्ति (Power to amend Schedule)

• धारा 21 विद्यालय प्रबंध समिति (School Managenment Committee)

• धारा 22 विद्यालय विकास योजना (School Development Plan)

• धारा 23 शिक्षकों की योग्यताएँ एवं सेवा की शर्तें (Qualifications for appoinment and terms and conditions of service of teachers)

• धारा 24 शिक्षकों के कर्तव्य व शिकायतों का निवारण (Duties of teachers and redressal of grievances)

• धारा 25 छात्र- शिक्षक अनुपात (Pupil-Teacher Ratio)

• धारा 26 विद्यालय में शिक्षकों की रिक्तियों को भरना (FiIlng up vacancies of teachers)

• धारा 27 गैर-शिक्षण प्रयोजनों हेतु शिक्षकों को अभियोजित करने पर प्रतिबंध (Prohibition of deployment of teachers for non-educational purposes)

• धारा 28 प्राइवेट ट्यूशन या प्राइवेट शिक्षण कार्य नहीं करेगा। (Prohibition of private tution by teacher)
अध्याय 5: प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम एवं उसका पूरा किया जाना
(Chapter V: Curriculum of Elementay Educaion and its completion)

• धारा 29 पाठ्यक्रम निर्धारण एवं मूल्यांकन प्रणाली (Curriculum and evaluation procedure)

• धारा 30 परीक्षा एवं पूर्णता प्रमाणपत्र (Examination and completion certificate)

अध्याय 6: बाल अधिकारों का संरक्षण
(ChapterVl: Protection of Right of Children)
• धारा 31 बालक के शिक्षा के अधिकार की निगरानी (Monitoring of child’s right to education)

• धारा 32 शिकायतों का निपटारा (Redressal of grievances)

• धारा 33 राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का गठन (Constitution of National Advisory Council)

• धारा 34 राज्य सलाहकार परिषद (Constitution of State Advisory Council)

अध्याय 7: विविध (Chapter VII: Miscellaneous)
• धारा 35 निर्देश जारी करने की केन्द्र सरकार की शक्ति (Power of Central Govt. to issue directions)

• धारा 36 अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (Previous sanction for prosecution)

• धारा 37 सद्भावनापूर्ण कारवाई के लिए संरक्षण (Protection of action taken in good faith)

• धारा 38 समुचित सरकार को नियम बनाने की शक्ति (Power of appropriate Governmnent to make rules)

• धारा 39 कठिनाईयों को दूर करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति (Power of Central Govt. to remove difficulties)

• राजस्थान में RTE act , 2009 की धारा 38 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने इस अधिनियम के प्रावधानों को क्रियान्विति हेतु, “राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011” निर्मित कर 29 मार्च, 2011 को अधिसूचित व लागू कर दिये हैं।

• निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधान राज्य में स्थित सभी सरकारी एवं गैर- सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों तथा ऐसे माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों, जिनमें कक्षा 1 से 8 तक शिक्षण होता है, चाहे वह अनुदानित हो अथवा गैर-अनुदानित, तथा चाहे वह केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हो या राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हो अथवा अन्य किसी बोर्ड/ संस्था से संबद्ध हो, में लागू होते है।

अध्याय 1: प्रारंभिक (Chapter 1:Preliminary)

धारा 1संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 है ।

(2) इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर होगा ।

(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।
यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर को छोड़कर संपूर्ण भारत में 1 अप्रैल, 2010 से प्रवृत हुआ है।

RTE Act (संशोधन) अधिनियम, 2012, जो 1 अगस्त, 2012 से लागू किया गया, में मूल अधिनियम की धारा (1) की उपधारा (3) के बाद नई उपधारा (4) एवं (5 ) जोड़ी गई।

[ (4) संविधान के अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 के उपबंधों के अधीन रहते हुए इस अधिनियम के उपबंध बालकों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार प्रदान किए जाने के संबंध में लागू होंगे ।

(5) इस अधिनियम की कोई बात मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और मुख्यतः धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाली शैक्षणिक संस्थाओं को लागू नहीं होगी ।]

धारा 2परिभाषाएंधारा (2) में विभिन्न परिभाषाएँ दी गई है । प्रमुख परिभाषाएँ निम्न हैं –

धारा 2(क)समुचित सरकार” से अभिप्राय  –
(i) केन्द्रीय सरकार या ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के, जिसमें कोई विधान-मंडल नहीं है, प्रशासक द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी विद्यालय के संबंध में, केन्द्रीय सरकार;

(ii) उपखंड (i) में विनिर्दिष्ट विद्यालय से भिन्न, –
• (क) किसी राज्य के राज्यक्षेत्र के भीतर स्थापित किसी विद्यालय के संबंध में, राज्य सरकार;
• (ख) विधान-मंडल वाले किसी संघ राज्यक्षेत्र के भीतर स्थापित विद्यालय के संबंध में उस संघ राज्यक्षेत्र की सरकार,अभिप्रेत है;

धारा 2(ख) प्रति व्यक्ति फीससे आशय विद्यालय द्वारा अधिसूचित फीस से भिन्न किसी प्रकार का संदान या अभिदाय अथवा संदाय अभिप्रेत है;

धारा 2(ग)बालक” से  आशय छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु का कोई बालक या बालिका से है;

धारा 2(घ)असुविधाग्रस्त/अलाभित समूह का बालक” से आशय [कोई निःशक्त बालक या]  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामाजिक रूप से और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग या सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, भौगोलिक, भाषाई, लिंग या ऐसी अन्य बात के कारण, जो समुचित सरकार द्वारा, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट की जाए, अलाभित ऐसे अन्य समूह के बालक से है;
धारा 2(ङ)दुर्बल वर्ग का बालक” से आशय ऐसे माता-पिता या संरक्षक का बालक अभिप्रेत है, जिसकी वार्षिक आय समुचित सरकार द्वारा, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट न्यनूनतम सीमा से कम है;

 [(ङङ) निःशक्त बालक” के अंतर्गत निम्नलिखित हैं, –
(अ) निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (झ) में यथापरिभाषित निःशक्त” कोई बालक;
(आ) ऐसा कोई बालक, जो राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निःशक्तताग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (ञ) में यथापरिभाषित निःशक्त कोई व्यक्ति हो;
(इ) राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिषक घात, मानसिक मंदता और बहु निःशक्तताग्रस्त व्यक्ति  कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (ण) में यथापरिभाषित  गंभीर बहु-निःशक्तता से ग्रस्त” कोई बालक];

धारा 2(च)प्रारंभिक शिक्षा” से पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा अभिप्रेत है;

धारा 2(छ) किसी बालक के संबंध में “संरक्षक” से ऐसा व्यक्ति  अभिप्रेत है, जिसकी देखरेख और अभिरक्षा में वह बालक है और इसके अंतर्गत कोई प्राकृतिक संरक्षक या किसी न्यायालय या किसी  कानून द्वारा नियुक्त या घोषित संरक्षक भी है;

धारा 2 (ज) स्थानीय प्राधिकारी/ Local Authorityसे कोई नगर निगम या नगर परिषद् या जिला परिषद् या नगर पंचायत या पंचायत, चाहे जिस नाम से ज्ञात हो, अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत विद्यालय पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाला किसी नगर, शहर या ग्राम में किसी स्थानीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन सशक्त ऐसा अन्य स्थानीय प्राधिकारी या निकाय भी है;

धारा 2 (झ) राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग” से बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 (2006 का 4) की धारा 3 के अधीन गठित राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग अभिप्रेत है;

धारा 2 (ञ) अधिसूचना” से राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना अभिप्रेत है;

धारा 2 (ट)माता-पिता” से किसी बालक का प्राकृतिक या सौतेला या दत्तक पिता या माता अभिप्रेत है;

धारा 2 (ठ)विहित” से, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;

धारा 2 (ड)अनुसूची” से इस अधिनियम से उपाबद्ध अनुसूची अभिप्रेत है;

धारा 2 (ढ) विद्यालय” से प्रारंभिक शिक्षा देने वाला कोई मान्यताप्राप्त विद्यालय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत निम्नलिखित भी हैं: –
• (i) समुचित सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कोई विद्यालय;
• (ii) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी से अपने संपूर्ण व्यय या उसके भाग की पूर्ति करने के लिए सहायता या अनुदान प्राप्त करने वाला कोई सहायताप्राप्त विद्यालय;
• (iii) विनिर्दिष्ट प्रवर्ग का कोई विद्यालय; और
• (iv) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी से अपने संपूर्ण व्यय या उसके भाग की पूर्ति करने के लिए किसी प्रकार की सहायता या अनुदान प्राप्त न करने वाला कोई गैर-सहायताप्राप्त विद्यालय;

धारा 2(ण)अनुवीक्षण प्रक्रिया” से किसी अनिश्चित पद्धति से भिन्न दूसरों पर अधिमानता में किसी बालक के प्रवेश के लिए चयन की पद्धति अभिप्रेत है;

धारा 2(त) किसी विद्यालय के संबंध में “विनिर्दिष्ट प्रवर्ग” से, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक विद्यालय के रूप में ज्ञात कोई विद्यालय या किसी सुभिन्न लक्षण वाला ऐसा अन्य विद्यालय अभिप्रेत है जिसे समुचित सरकार द्वारा, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट किया जाए;

धारा 2(थ)राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग” से बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 (2006 का 4) की धारा 3 के अधीन गठित राज्य बालक अधिकार सरंक्षण आयोग अभिप्रेत है ।

अध्याय 2: निः शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार
(Chapter II: Right to Free and Compulsory Education)

धारा 3  : निःशल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार :
• धारा 3 (1) के अनुसार, “6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बालक जिसमें धारा 2 (d) एवं 2(c) में विनिर्दिष्ट बालक भी शामिल हैं, को प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने तक अपने पड़ोस के किसी विद्यालय में निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। ‘”
• धारा 3 (2) में प्रावधान है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने हेतु बालक से किसी प्रकार की फीस या व्ययों का भुगतान नहीं लिया जाएगा, जो उसे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने से निवारित करे (रोके)।
• धारा 3(3 ) में कहा गया है कि निःशक्तता से ग्रस्त किसी बालक को भी Persons with disabilities Act, 1995 के अध्याय V के अनुसरण में प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने का अधिकार होगा। इस धारा के परन्तुक में प्रावधान किया गया है कि मल्टीपल अक्षमताओं वाले बालक या गंभीर अक्षमता वाले बालक को भी घर पर शिक्षा (Home based education) प्राप्त करने का अधिकार होगा।

धारा-4 ऐसे बालकों, जिन्हें प्रवेश नहीं दिया गया है या जिन्होंने प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण नहीं की है, के लिए विशेष उपबन्ध ( धारा-4 ):
• जहाँ 6 वर्ष से अधिक की आयु के किसी बालक को किसी विद्यालय में प्रवेश नहीं कराया गया है या वह प्रवेश के बाद अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाया था, तो उसे उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।परन्तु जहाँ ऐसे बालक को सीधे उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिया गया है, तो ऐसे बालक को अन्य बालकों के समान स्तर का होने के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर और विहित रीति से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने का अधिकार होगा। परन्तु ऐसे बालक को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक चौद्ह वर्ष की आयु के पश्चात् भी निःशुल्क शिक्षा प्राप्ति का अधिकार होगा।

धारा-5 अन्य विद्यालय में स्थानान्तरण का अधिकार :
• धारा 5(1) के अनुसार किसी विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने की व्यवस्था नहीं होने पर बालकको अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने हेतु किसी अन्य विद्यालय  (विनिर्दिष्ट विद्यालय के अलावा) में स्थानान्तरण कराने का अधिकार होगा

• धारा 5(2) : यदि किसी बालक को किसी भी कारण से राज्य के भीतर या बाहर एक विद्यालय से अन्य विद्यालय में जाना पड़े तो उसे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने हेतु उस अन्य विद्यालय [ धारा 2 ढ/n उपखंड (ii) एवं (iv) में विनिर्दिष्ट विद्यालय को छोड़कर)में स्थानांतिरण कराने का अधिकार होगा।
• धारा 5 (3) : ऐसी स्थिति में उस विद्यालय, जिसमें बच्चा अंतिम गय पढ़ रहा था, का प्रधानाध्यापक या इंचार्ज ऐसे बालक को अन्य विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए तुरंत स्थानान्तरण प्रमाणपत्र (TC) जारी करेगा।
• इसमें अनावश्यक देरी करने पर प्रधानाध्यापक/भारसाधक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। साथ ही इस कारण हस्तांतरण प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करने में हुई देरी उस अन्य विद्यालय में उक्त बालक को प्रवेश नहीं देने या प्रवेश देने से इन्कार करने का आधार स्वीकार्य नहीं होगा।

अध्याय 3: समुचित सरकार, स्थानीय प्राधिकारी एवं माता-पिता के कर्त्तव्य
(Chapter 3 : Duties of Appropriate Govemment, Local Authority and Parents)

धारा-6 विद्यालय स्थापित करने का कर्तव्य
• इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन हेतु पड़ोस या निर्धारित क्षेत्र या विहित सीमा के भीतर विद्यालय न होने पर समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ होने के तीन वर्ष के भीतर एक विद्यालय स्थापित किया जाएगा।
धारा-7 वित्तीय व अन्य दायित्वों को वहन करना
• धारा 7 (1) केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू  करने हेतु उचित निधि व अन्य अवसंरचनात्मक सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु समान खरूप से उत्तरदायी होंगी।

• धारा 7 (2): इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन हेतु केन्द्र सरकार पूँजीगत एवं आवर्ती व्ययों के प्राक्कलन (Estimates) तैयार करेगी।

• धारा 7 (3):केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों से समय -समय पर परामर्शोपरान्त धारा 7(2) में निर्धारित किये गये व्ययों के उक्त परामर्श में निर्धारित प्रतिशत के बराबर अनुदान एवं सहायता राज्य सरकारों को प्रदान करेगी।

• धारा 7(4): केन्द्र सरकार राष्ट्रपति से यह निवेदन कर सकेगी कि वह संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत् गठित वित्त आयोग को किसी राज्य सरकार को इस उद्देश्य हेतु आवश्यक वित्त की आवश्यकता की जाँच करने एवं सलाह देने का आदेश दे।

• धारा 7( 5): उपयुक्त उपधारा (4) में उल्लेखित किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार, केन्द्र सरकार से प्राप्त अनुदान एवं प्राप्त राशियों एवं अन्य संसाधनों को ध्यान में रखते हुए इस अधिनियम के प्रावधानों को क्रियान्वित करने हेतु आवश्यक धन राशियाँ उपलब्ध करायेगी।

• धारा 7 (6) में प्रावधान है कि केन्द्र सरकार-
• (a) इस अधिनियम की धारा 29 में विनिर्दिष्ट शैक्षिक प्राधिकारी की सहायता से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क (Framework of National Curriculum) विकसित करेगी।
• (b) शिक्षकों के प्रशिक्षण के मानक या प्रतिमान (standards) विकसित कर उन्हें लागू करवायेगी।
• (c) राज्यों को नवाचारों को प्रोत्साहन देने, शोधकार्यों एवं क्षमता निर्माण आदि कार्यों हेतु तकनीकी सहायता एवं वित्तीय संशाधन उपलब्ध करायेगी।

धारा-8समुचित सरकार के कर्तव्य
समुचित सरकार, –
• धारा 8(क) प्रत्येक बालक को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराएगी:
•  इसके परन्तुक में कहा गया है कि माता-पिता या अभिभावक द्वारा सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित या नियंत्रित विद्यालय के अलावा बालक को किसी अन्य विद्यालय में प्रवेश दिलाने पर माता- पिता/अभिभावक इस हेतु व्यय की गई राशि का सरकार से पुनर्भरण प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगें ।

स्पष्टीकरण-“अनिवार्य शिक्षा” पद से समुचित सरकार की, –
(i) छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक को निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने; और
(ii) छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक द्वारा प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्य प्रवेश, उपस्थिति और उसको पूरा करने को सुनिश्चित करने की, बाध्यता अभिप्रेत है;

• धारा 8(ख) धारा 6 में यथाविनिर्दिष्ट आसपास में विद्यालय की उपलब्धता को सुनिश्चत करेगी;

• धारा 8(ग) यह सुनिश्चित करेगी कि दुर्बल वर्ग के बालक और अलाभित समूह के बालक के प्रति पक्षपात न किया जाए तथा किसी आधार पर प्राथमिक शिक्षा लेने और पूरा करने से वे निवारित न हों;

• धारा 8(घ) अवसंरचना, जिसके अंतर्गत विद्यालय भवन,  शिक्षण  कर्मचारि वृंद और अधिगम सामग्री भी हैं, उपलब्ध कराएगी;

• धारा 8(ङ) धारा 4 में विनिर्दिष्ट विशेष प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएगी;

• धारा 8(च) प्रत्येक बालक द्वारा प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश,उपस्थिति  और उसे पूरा करने को सुनिश्चित और मानीटर करेगी;

• धारा 8(छ) अनुसूची में विनिर्दिष्ट मान और मानकों के अनुरूप  अच्छी  क्वालिटी की प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करेगी;

• धारा 8(ज) प्राथमिक शिक्षा के लिए पाठ्याचार और पाठ्यक्रमों का समय से विहित किया जाना सुनिश्चित करेगी; और

• धारा 8(झ) शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएगी ।

धारा-9स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य
प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी, –
• धारा-9(क) प्रत्येक बालक को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराएगा:
• परन्तु जहां किसी बालक को, यथास्थिति, उसके माता-पिता या संरक्षक द्वारा, समुचित सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा सारवान् रूप से वित्तपोषित विद्यालय से भिन्न किसी विद्यालय में प्रवेश दिया जाता है, वहां ऐसा बालक या, यथास्थिति, उसके माता-पिता या संरक्षक ऐसे अन्य विद्यालय में बालक की प्राथमिक शिक्षा पर उपगत व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए कोई दावा करने का हकदार नहीं होगा;

• धारा-9(ख) धारा 6 में यथाविनिर्दिष्ट आपसपास में विघालय की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा;

• धारा-9(ग) यह सुनिश्चित करेगा कि दुर्बल वर्ग के बालक और अलाभित समूह के बालक के प्रति पक्षपात न किया जाए तथा किसी आधार पर प्राथमिक शिक्षा लेने और पूरा करने से वे निवारित न हों;

• धारा-9(घ) अपनी अधिकारिता के भीतर निवास करने वाले चौदह वर्ष तक की आयु के बालकों के ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, अभिलेख रखेगा ;
• धारा-9(ङ) अपनी अधिकारिता के भीतर निवास करने वाले प्रत्येक बालक द्वारा प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश, उपस्थिति और उसे पूरा करने को सुनिश्चित और मानीटर करेगा;

• धारा-9(च) अवसरंचना, जिसके अंतर्गत विद्यालय भवन, शिक्षण कर्मचारिवृंद और शिक्षा सामग्री भी है, उपलब्ध   कराएगा;

• धारा-9(छ) धारा 4 में विनिर्दिष्ट विशेष प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएगा;

• धारा-9(ज) अनुसूची में विनिर्दिष्ट मान और मानकों के अनुरूप अच्छी क्वालिटी की प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करेगा;

• धारा-9(झ) प्राथमिक शिक्षा के लिए पाठ्याचार और पाठ्यक्रमों का समय से विहित किया जाना सुनिश्िचत करेगा;

• धारा-9(ञ) शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएगा;

• धारा-9(ट) प्रवासी/ घुमंतु कुटुंबों के बालकों के प्रवेश को सुनिश्चित करेगा;

• धारा-9(ठ) अपनी अधिकारिता के भीतर विद्यालयों के कार्यकरण को मानीटर करेगा; और

• धारा-9(ड) शैक्षणिक कैलेंडर का विनिश्चय करेगा ।

धारा 10 अधिनियम की धारा 10 में प्रावधान है कि प्रत्येक माता /पिता / अभिभावक का कर्त्तव्य है कि वह अपने बच्चों/ संरक्षित बालकों (6-14 वर्ष) को प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने हेतु नजदीक के स्कूल (Neighbourhood School) में प्रवेश दिलाए।

धारा 11 : 3 वर्ष से अधिक आयु के बालकों को प्रारंभिक शिक्षा हेतु तैयार करने एवं सभी बालकों को छ: वर्ष की आयु पूर्ण करने तक आरंभिक बाल्यकाल देखरेख एवं शिक्षा (ECCE) की व्यवस्था करने हेतु समुचित सरकार ऐसे बालकों को प्री. स्कूल शिक्षा निःशुल्क उपलब्ध कराने की आवश्यक व्यवस्था कर सकेगी।

अध्याय 4: विद्यालय एवं शिक्षकों के उत्तरदायित्व
ChapterIV: Responsibilities of Schools and Teachers)

धारा-12 स्कूल के दायित्व
धारा 12(1) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, –
*धारा 2n(i)/2 ढ (i) धारा 2 के खंड (ढ) के उपखंड (i) में विनिर्दिष्ट
• (a) अधिनियम की धारा 2n(i)/2 ढ (i) में वर्णित समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित या नियंत्रणाधीन विद्यालय , अपने यहाँ प्रवेश प्राप्त सभी बच्चों (6-14 वर्ष) को नि:शुल्क व अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करेगा ।

• (b) अधिनियम की धारा 2(n)(ii)/2 ढ (ii)  में वर्णित सहायता प्राप्त मान्यताधारी स्कूलों को अपने यहाँ प्रवेश लिए हुए कुल बच्चों के उतने अनुपात में बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करनी होगी, जितना कुल व्ययों का प्रतिशत अनुदान/सहायता उन्हें सरकार से प्राप्त होती है, परन्तु यह अनुपात/प्रतिशत 25 % से कम नहीं होगा।

• (c) धारा 2n (iii) एवं (iv) में विनिर्दिष्ट विद्यालय अपने आस – पड़ोस में रहने वाले कमजोर व अलाभित समूह के बालकों को कक्षा 1 या विद्यालय में प्रवेश कक्षा में सीटों की कुल संख्या के कम से कम 25% सीटों पर प्रवेश देगा एवं प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने तक उन्हें निः शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेंगा। इस धारा के परन्तुक के अनुसार यदि धारा 2 (n) में विनिर्दिष्ट किसी विद्यालय में प्री. स्कूल शिक्षा भी प्रदान की जाती है जो उक्त 12 (a) से (c) तक के प्रवधान कक्षा 1 के स्थान पर उस प्री. स्कूल कक्षा में प्रवेश के लिए लागू हॉंगे।
धारा 12(2) में प्रावधान है कि यदि धारा 2(n) के clause (iv) के
तहत् उल्लेखित विद्यालय धारा 12 (1)(ग) के तहत् कमजोर व अलाभित वर्ग के बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करते हैं तो स्कूल द्वारा उन पर खर्च किये व्ययों के लिए निम्न में न्यूनतम राशि का सरकार द्वारा उनको पुनर्भरण किया जायेगा-
• 1. विद्यालय द्वारा प्रति बालक व्यय की गई राशि, जो कि राज्य द्वारा प्रति बालक व्यय की जा रही राशि तक सीमित होगी।
• 2. विद्यालय द्वारा प्रति बालक वसूल की जाने वाली राशि । परन्तुक में प्रावधान है कि इस प्रकार पुनर्भरण की जाने वाली राशि धारा 2n (i) में विनिर्दिष्ट विद्यालय द्वारा प्रति बालक व्यय की गई राशि से अधिक नहीं होगी।

धारा-13 कैपीटेशन फीस वसूल करने पर पाबंदी
(1) RTE एक्ट की इस धारा में स्कूलों को प्रारंभिक शिक्षा हेतु प्रवेश देते समय किसी भी बच्चे के माता/पिता/अभिभावक से कैपीटेशन फीस (or दान ) वसूल करने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही बच्चे या उसके माता/पिता या अभिभावक का किसी भी प्रकार का साक्षात्कार या अनुवीक्षण (Screening) लेने पर पाबंदी लगाई गई है।
(2) यदि कोई स्कूल या व्यक्ति इस अधिनियम की धारा 13 (1) का उल्लंघन कर कैपीटेशन फीस वसूल करता है तो उस पर वसूल की गई कैपीटेशन फीस के 10 गुना तक जुर्माना लगेगा साथ ही किसी बच्चे की स्क्रीनिंग ली जाने पर प्रथम त्रुटि पर 25 हजार रुपए तक के जुर्माने तथा बाद वाली प्रत्येक त्रुटि पर 50 हजार रुपए तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा।
धारा 14 प्रवेश के लिए आयु का सबूत
(1) प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश के लिए जन्म प्रमाण पत्र या अन्य कोई
विहित दस्तावेज आयु का आधार होगा।
(2) लेकिन आयु का सबूत न होने के कारण किसी बालक को किसी
विद्यालय में प्रवेश देने से इंकार नहीं किया जाएगा।

धारा-15 प्रवेश से इकार न किया जाना
• बालक शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ में अथवा बढाये गये समय (Exended Period) में शाला में प्रवेश ले सकेगा। परन्तु उक्त बढ़ाई गई (विस्तारित) अवधि के बाद प्रवेश माँगने वाले बालक को प्रवेश देने से इन्कार नहीं किया जाएगा।

धारा-16 कक्षा में रोकने एवं निष्कासन का प्रतिषेध
• किसी विद्यालय में प्रवेश प्राप्त बालक को किसी कक्षा में रोका नहीं जाएगा (फेल नहीं किया जाएगा) या विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा पूरी किए जाने तक निष्कासित नहीं किया जाएगा। यह मूल अधिनियम का प्रावधान है।

RTE (संशोधन ) अधिनियम, 2019
• संसद द्वारा पारित     2019 में    
• राष्ट्रपति की अनुमति 10 जनवरी, 2019 को
• अधिसूचना जारी     28 फरवरी, 2019 को 
• लागू                     1 मार्च, 2019 से  
• इस संशोधन अधिनियम द्वारा RTE Act, 2009 की धारा 16 को प्रतिस्थापित किया गया है एवं धारा 38 में संशोधन किया गया है।
नये संशोधन के अनुसार प्रतिस्थापित धारा 16 में निम्न प्रावधान किये गये हैं-
• धारा 16 (1): प्रत्येक शैक्षणिक सत्र के अंत में कक्षा 5 एवं कक्षा 8 की नियमित परीक्षा होगी।

• धारा 16(2): यदि कोई बालक उपधारा ( 1) में उल्लेखित परीक्षा में फेल हो जाता है तो उसे अतिरिक्त निदेशन प्रदान किया जाएगा एवं उक्त परीक्षा परिणाम की घोषणा के दो माह के अंदर उसे पुनः परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर दिया जाएगा

• धारा 16 (3) : यदि बालक पुन:परीक्षा में भी अनुत्तीर्ण हो जाता है तो समुचित सरकार विनिर्दिष्ट तरीके से एवं विहित शर्तों के अधीन विद्यालयों को बालक को कक्ष 5 या कक्षा 8 या दोनों में रोकने (फेल करने) की अनुमति दे सकेगी।
• परन्तु समुचित सरकार बालक को प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने तक किसी भी कक्षा में नहीं रोकने (फैल न करने) का विनिश्चय भी कर सकेगी।

• धारा 16( 4): कोई भी बालक प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने तक विद्यालय से निष्कासित नहीं किया जा सकेगा।

धारा 17 :बालक के शारीरिक दण्ड एवं मानसिक उत्पीड़न का प्रतिषेध

• धारा 17(1) किसी बालक को शारीरिक दण्ड नहीं दिया जाएगा या उसका मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।

• धारा 17(2): इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर लागु सेवा नियमों के तहत् अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

धारा 18: मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना विद्यालय स्थापित करने पर रोक।
• 18 (1):इस अधिनियम के लागू होने के बाद समुचित सरकार /प्राधिकारी के समक्ष विहित प्रारूप में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के वाद मान्यता प्रमाण-पत्र प्राप्त किये बिना कोई विद्यालय (सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित या नियंत्रित विद्यालय को छोड़कर) स्थापित या संचालित नहीं किया जायगा।

• 18 (2): उक्त उपधारा (1) में उल्लखित प्राधिकारी विनिर्दिष्ट प्रारूप में, विनिर्दिष्ट समय एवं विधि से, विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन मान्यता प्रमाण-पत्र जारी करेगा, परन्तु किसी विद्यालय को तब तक मान्यता प्रदान नहीं की जाएगी जब तक कि वह इस अधिनियम की धारा 19 के विनिर्दिष्ट प्रतिमान एवं मानकों को पूरा नहीं करता है।

• 18 (3): मान्यता (Recognition) की शर्तों का उल्लंघन करने पर विनिर्दिष्ट  प्राधिकारी विहित विधि से सुनवाई का पर्याप्त अवसर प्रदान करने के बाद लिखित अदेश द्वारा विद्यालय की मान्यता वापस ले लेगा। परन्तु इस आदेश में यह निर्देश उल्लिखित होगा कि उस विद्यालय के बालकों को आस-पास के किस विद्यालय में प्रवेश दिया जाएगा।

• धारा 18 (4): कोई विद्यालय उपधारा (3) के तहत मान्यता वापस लिए जाने की तिथि से कार्य जारी नहीं रखेगा।

• धारा 18 (5 ): किसी व्यक्ति द्वारा बिना मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किये या मान्यता समाप्त किये जाने के बाद भी विद्यालय स्थापित करने या चालू रखने पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा तथा उल्लंघन जारी रहने पर उल्लंघन के प्रत्येक दिवस के लिए 10,000 प्रति दिवस जुर्माना देय होगा ।

धारा 19 : विद्यालय के प्रतिमान एवं मानदण्ड :

• धारा 19(1): धारा 18 के अधीन किसी स्कूल को तब तक स्थापित नहीं किया जाएगा या मान्यता प्रदान नहीं की जाएगी जब तक कि वह इस अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित प्रतिमानों एवं मानदण्डों को पूरा नहीं करता है।

• धारा 19(2 ): अधिनियम के लागू होने से पूर्व स्थापित स्कूल को जो इस अधिनियम के प्रतिमान व मानदण्डों को पूरा नहीं करता है तो उसे इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 3 वर्ष के भीतर स्वयं के खर्चें पर अनुसची में विनिर्दिष्ट प्रतिमान व मानदण्ड पूर्ण करने हेतु कदम उठाने होंगे।

• धारा 19 (3): यदि अधिनियम के लागू होने से पूर्व स्थापित विद्यालय उपधारा (2) में निर्धारित अवधि में अनुसूची में वर्णित प्रतिमान एवं मानदण्डों को पूरा नहीं करवाता है तो समुचित प्राधिकारी [धारा18(1) में विनिर्दिष्ट] द्वारा उसकी मान्यता समाप्त वापस ले ली जाएगी अर्थात मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।

• धारा 19(4): कोई भी विद्यालय धारा 19 (3 ) के अधीन मान्यता वापस लिये जाने की तिथि से कार्य नहीं करेगा।

• धारा 19(5): यदि धारा 19 (3 ) में उल्लिखित विद्यालय इन नियमों का उल्लंघन कर मान्यता समाप्ति के बाद भी विद्यालय चालू रखता है तो उस पर 1 लाख रु. तक का जुर्माना तथा उल्लंघन जारी रहने पर ऐसे उल्लंघन के प्रत्येक दिवस के लिए 10 हजार रु. का जुर्माना लगाया जा सकेगा।

धारा 20: अनुसूची का संशोधन करने की शक्ति:
• केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा अनुसूची का, उसमें किसी मान या मानक को जोड़कर या उससे उसका लोप करके संशोधन कर सकेगी।

धारा 21 विद्यालय प्रबंध समिति (School Management Committee-SMC)
धारा 21(1): प्रत्येक विद्यालय [ धारा 2(n)(iv) में वर्णित गैर सहायता प्राप्त विद्यालय को छोड़कर] एक विद्यालय प्रबंध समिति का गठन करेगा, जिसमें
• प्रवेश प्राप्त सभी बालकों के माता -पिता या संरक्षक
• विद्यालय के सभी शिक्षक एवं
• स्थानीय निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य होंगे।

ऐसी समिति में कम से कम 3/4 (कम से कम 75 प्रतिशत) सदस्य
माता-पिता या संरक्षक (माता-पिता के जीवित न होने पर) होंगे। इस
समिति की 50 प्रतिशत सदस्य स्त्रियाँ होंगी। साथ ही इसमें कमजोर
वर्गों व अलाभित समूह के बच्चों के माता-पिता सरंक्षकों को भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।

राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम,
2011 के नियम 3 के अनुसार विद्यालय प्रबंध समिति में निम्न सदस्य होंगे-
1. विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक बालक के माता-पिता या संरक्षक
2. विद्यालय में कार्यरत सभी अध्यापक
3. स्थानीय निकाय/प्राधिकारी के उस वार्ड, जिसमें कि विद्यालय स्थित है,से निर्वाचित वार्ड मेंबर/पंच
4. स्थानीय प्राधिकारी/निकाय के उस ग्राम/वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, में निवास कर रहे सभी निर्वाचित प्रतिनिधि।

• विद्यालय प्रबंध समिति की कार्यकारी समिति (Executive Committee) का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव ही विद्यालय प्रबंध स्मिति के क्रमश: अध्यक्ष , उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव होंगे।
• विद्यालय प्रबंध समिति का हर 2 वर्ष में पूनर्गठन किया जाएगा।
• विद्यालय प्रबंध समिति प्रत्येक 3 माह में कम से कम एक बैठक करेगी।
• अतः वर्ष में 4 बैठक अनिवार्य है। विद्यालय प्रबन्ध समिति की साधारण सभा की गणपूर्ति (Quorem/कोरम) कुल सदस्य संख्या का एक तिहाई (33.33%) होगी।

विद्यालय प्रबंध समिति की कार्यकारी समिति ( नियम-4) :
विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा अपनी कार्यकारी समिति (executive Committee) का गठन किया जाएगा जिसमें 15 सदस्य निम्न प्रकार होंगे-
(1) विद्यालय का प्रधानाध्यापक या इसके न होने पर वरिष्ठतम अध्यापक समिति का सदस्य सचिव होगा।
(2) विद्यालय के अध्यापकों द्वारा निर्वाचित विद्यालय का एक अध्यापक, अधिमान्यत : एक महिला अध्यापक
(3) स्थानीय प्राधिकारी का उस वार्ड, जिसमें स्कूल स्थित है, से निर्वाचित सदस्य।
(4) छात्रों के माता-पिता या अभिभावकों में से विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा निवाचित 11 सदस्य। इनमें से कार्यकारी समिति सदस्यों द्वारा एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष निर्वाचित किया जाएगा।
(5) कार्यकारी समिति के सदस्यों द्वारा मनोनीत एक स्थानीय शिक्षाविद् या विद्यालय का छात्र।
उक्त कार्यकारी समिति के माता-पिता या अभिभावकों में से चयनित कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य (अर्थात् कम से कम 6 सदस्य) महिलाएँ होंगी तथा समिति में अनुसूचित जाति/जनजातियों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।

• कार्यकारी समिति के सभी सदस्य समिति के माता-पिता/संरक्षक 11 सदस्यों में से एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे। विद्यालय का प्रधानाध्यापक समिति का सदस्य सचिव होगा।
• कार्यकारी समिति की प्रत्येक माह कम से कम एक बैठक होगी। (वर्ष में कम से कम 12 बैठक) बैठक की गणपूर्ति (Quorum) कुल सदस्य संख्या का 1/3 (अर्थात 5) होगी ।

धारा 21(2 ): विद्यालय प्रबंध समिति निम्नलिखित कृत्यों का पालन करेगी,
• क. विद्यालय के कार्य संचालन को मॉनीटर करना;
• ख. विद्यालय विकास योजना तैयार करना और उसकी सिफारिश करना;
• ग. समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी अथवा किसी अन्य स्रोत से प्राप्त अनुदानों के उपयोग को मॉनीटर करना; और
• घ. ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना, जो विहित किए जाएँ।

RTE Act संसोधन अधिनियम, 2012 में निम्न परन्तुक जोड़ा गया है-
परन्तु उपधारा (1) में निम्न के संबंध में गठित विद्यालय प्रबंध समिति
केवल परामर्शात्मक (Advisory) कार्य ही करेगी।
(a) धर्म या भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा स्थापित व संचालित विद्यालय एवं
(b) धारा 2 (n)(ii) में परिभाषित अन्य अनुदानित विद्यालय।

राजस्थान निःशुल्क व आनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम,
2011 के नियम 3 के तहत SMC को उक्त के अलावा निम्न कार्य भी
करने होंगे-
• (1) इस अधि. की धारा 24 (क) एवं (ङ) तथा धारा 28 की पालना सुनिश्चित करना।
• (2) धारा 27 की अनुपालना को मानीटर करना ।
• (3) विद्यालय के आसपास के सभी बालकों के नामांकन एवं स्कूल में निरन्तर उपस्थित को सुनिश्चित करना।
• (4) बालकों के मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न, स्कूल में प्रवेश से इंकार किये जाने आदि के संबंध में स्थानीय प्राधिकारी को जानकारी देना।
• (5) आवश्यकताओं का पता लगाना, योजना तैयार करना एवं धारा 4 के उपबन्धों के कार्यान्वयन को मॉनीटर करना।
• (6) नि:शक्त बालकों की पहचान एवं नामांकन व उनकी शिक्षा की सुविधाओं को मॉनीटर करना।
• (7) विद्यालय में दोपहर के भोजन ( मिड -डे मील ) के कार्यान्वयन को मॉनीटर करना।
• (8) विद्यालय की प्राप्तियों एवं व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करना।

धारा-22 विद्यालय विकास योजना

धारा 22(1) अधिनियम की धारा 21(1) के तहत गठित विद्यालय प्रबंध समिति (SMC) निर्धारित प्रारूप व विहित रीति में विद्यालय विकास योजना तैयार रहेगी।

धारा 22(2) के अनुसार समुचित सरकार/स्थानीय प्राधिकारी द्वारा बनाई जाने वाली योजनाओं तथा द्वारा दिये जाने वाले अनुदानों /सहायता का आधार यह विद्यालय विकास याजना ही होगी।

RTE Act (संशोधन) अधिनियम, 2012 द्वारा मूल अधिनियम की धारा 22 (1) में संशोधन कर अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा स्थापित स्कूल एवं धारा 2 (n) (i) के तहत् स्थापित अनुदानित स्कूलों को इस धारा के अधिकार क्षेत्र  से बाहर किया गया है।

विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा तैयार विद्यालय विकास योजना
3 वर्षीय योजना होगी, जिसमें तीन वार्षिक उपयोजनाएँ होंगी। इस पर समिति के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव द्वारा हस्ताक्षर किये जाएंगे। इसे उसी वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

धारा 23 : शिक्षकों की योग्यताएँ एवं सेवा की शर्तें
धारा 23(1): केन्द्रीय सरकार द्वारा प्राधिकृत शैक्षिक अभिकरण द्वारा
अभिनिर्धारित न्यूनतम योग्यता को धारण करने वाला व्यक्ति स्कूल में
शिक्षक नियुक्त किये जाने के योग्य होगा।

• केन्द्र सरकार ने इस धारा के अधीन ‘राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE)’ को ‘प्राधिकृत शैक्षिक अभिकरण’ घोषित किया है।

धारा 23(2): यदि किसी राज्य में निर्धारित योग्यताधारी व्यक्ति पर्याप्त संख्या में नहीं हैं या उस राज्य में शिक्षकों हेतु प्रशिक्षण की सुविधाएँ पर्याप्त नहीं हैं तो केन्द्र सरकार आवश्यक होने पर, अधिसूचना द्वारा शिक्षक की उक्त न्यूनतम योग्यताओं में अधिनियम के लागू होने की तिथि से अधिकतम 5 वर्ष तक (अर्थात 31 मार्च, 2015 तक) के लिए छूट प्रदान कर सकती है।

RTE Act. संशोधन नियम 2015 (1.4.2015 से लागू) द्वारा केन्द्र सरकार ने 9 अगस्त, 2017 को इस अवधि को 4 वर्ष बढ़ाकर 9 वर्ष कर दिया है अर्थात् 31 मार्च, 2019 तक के लिए छूट प्रदान कर दी है।
परन्तु यदि अधिनियम के लागू होने के समय किसी विद्यालय में कार्यरत कोई शिक्षक उक्त निर्धारित योग्यता नहीं रखता है तो उसे अधिनियम के लागू होने के 5 वर्ष के अंदर (2017 के संशोधन के बाद अब 9 वर्ष में अर्थात् 31 मार्च, 2019 तक) उक्त योग्यताएँ हासिल करनी होंगी
धारा 23(3) शिक्षकों के लिए सेवा की शर्तें एवं उन्हें देय वेतन एवं भत्ते वे होंगे, जो विहित किये जाएँ ।
धारा 24  शिक्षकों के कर्त्तव्य व शिकायतों का निवारण

धारा 24(1) धारा 23 (1) के अधीन नियुक्त शिक्षक निम्नलिखित कर्तव्यों का पालन करेगा.
• क. विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता और समय पालन;
• ख. धारा 29 (2 ) के उपबंधों के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित करना और उसे पूरा करवाना।
• ग. विनिर्दिष्ट समय के भीतर सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को पूरा करना;
• घ. प्रत्येक बालक के शिक्षा ग्रहण करने (अधिगम) के सामर्थ का मूल्यांकन करना और तद्नुसार यथा अपेक्षित अतिरिक्त शिक्षण,यदि कोई हो, प्रदान करना।
• ड. बालकों के माता-पिता/संरक्षकों के साथ नियमित बैठकें करना और बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता , शिक्षा ग्रहण करने (अधिगम) की सामर्थ्य, अधिगम में की गई प्रगति और बालक से संबंधित किसी अन्य सुसंगत जानकारी के बारे में उन्हें अवगत कराना; और
• च. ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना, जो विहित किए जाएँ।

धारा 24(2) यदि कोई शिक्षक धारा 24(1) में विहित कर्त्तव्यों के पालन में चूक करता है तो उसके विरुद्ध उसे सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान किये जाने के बाद,उस पर लागू सेवानियमों के तहत् अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
धारा 24(3) शिक्षकों की शिकायतों यदि कोर्ई हैं को विहित रीति से दूर किया जाएगा।

धारा 25 : छात्र-शिक्षक अनुपात
प्रत्येक विद्यालय में छात्र-शिक्षक अनुपात इस अधिनियम में वर्णित अनुसूची के अनुसार होगा।

धारा 25(1) : समुचित सरकार/स्थानीय प्राधिकारी इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 6 माह के अंदर यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात इस अधिनियम की अनुसूची में विनिर्दिष्ट अनुपात के अनुसार बनाये रखा गया है।

केन्द्र सरकार द्वारा 20 जून, 2012 को अधिसूचना द्वारा RTE संशोधन अधिनियम 2012 जो 1 अगस्त, 2012 से प्रवृत है, के तहत् उक्त 6 माह की अवधि को बढ़ाकर 3 वर्ष कर दिया गया है।

धारा 25 (2) : उक्त उपधारा (1) के तहत् छात्र-शिक्षक अनुपात बनाये रखने हेतु किसी एक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक को किसी
अन्य विद्यालय में सेवा नहीं करने दी जाएगी तथा धारा 27 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों से भिन्न किसी गैर शैक्षिक प्रयोजन के लिए नियोजित नही किया जाएगा।

धारा 26 विद्यालय में शिक्षकों की रिक्तियों को भरना
समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित या उसके स्वामित्व वाले या अनुदान प्राप्त स्कूलों के नियुक्ति प्राधिकारी का दायित्व है कि इन स्कूलों में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त न रहें।

धारा 27 गैर शैक्षिक प्रयोजनों हेतु शिक्षकों को अभियोजित करने पर प्रतिबंध
किसी शिक्षक को 10 वर्षीय जनसंख्या जनगणना, आपदा  राहत कार्यों या स्थानीय प्राधिकारी के या राज्य में विधानमंडलों या संसद के
निर्वाचनों से संबंधित कर्तव्यों के अलावा अन्य किसी गैर-शैक्षिक प्रयोज के लिए अभिनियोजित नहीं किया जाएगा।

धारा 28 के अनुसार कोई भी शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन या प्राइवेट शिक्षण कार्य नहीं करेगा।

अध्याय 5: प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम एवं उसका पूरा किया जाना
(Chapter V: Curriculum of Elementay Educaion and its completion)

धारा 29 पाठ्यक्रम निर्धारण एवं मूल्यांकन प्रणाली

धारा 29(1) प्रारंभिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रणाली को समुचित सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट शैक्षिक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
• केन्द्रीय सरकार ने इस अधिनियम की धारा 29(1) के तहत् ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT)’ को इस धारा के तहत् ‘विनिर्दिष्ट शैक्षिक प्राधिकरण‘ घोषित किया गया।
• राजस्थान सरकार ने राज्य शैश्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT ), उदयपुर को अधिनियम की धारा 29 के लिए राज्य में विनिर्दिष्ट शैक्षणिक प्राधिकारी घोषित किया है।

धारा 29(2) शैक्षिक प्राधिकरण धारा 29 (1) के तहत् पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रणाली के निर्धारण में निम्न को मद्देनजर रखेगा-
• (a) संविधान में प्रतिष्ठापित मूल्यों के साथ सामंजस्य।
• (b) बालक का सर्वांगीण विकास।
• (c) बालक के ज्ञान, क्षमता एवं टेलेन्ट का निर्माण करे।
• (d) बालक के पूर्ण सीमा तक शारीरिक एवं मानसिक योग्यताओं के विकास में सहायक हो।
• (e) अधिगम (शिक्षण) कार्य आदि बालक केन्द्रित, बालकोचित प्रकटीकरण व खोजपूर्ण तरीके से संपन्न हो।
• (f) शिक्षा का माध्यम जहाँ तक संभव हो, बच्चे की मातृभाषा में हो।
• (g) बालक को भय, चिता, ट्रोमा आदि से मुक्त करे तथा बालक को अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक रखने में मदद करे।
• (h) बालक के समझने की शक्ति एवं उसे उपयोग करने की उसको योग्यता का सतत् एवं समग्र मूल्यांकन (CCE) संभष हो।

धारा 30 : परीक्षा एवं पूर्णंता प्रमाणपत्र
धारा 30(1) के अनुसार प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी बालक
द्वारा कोई बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करनी आवश्यक नहीं है।

धारा 30 (2) के तहत् प्रत्येक बालक को, जिसने प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर ली है, विहित प्रारूप में विनिर्दिष्ट तरीके से एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

अध्याय 6: बाल अधिकारों का संरक्षण
(ChapterVl: Protection of Right of Children)

धारा 31 बालक के शिक्षा के अधिकार की निगरानी(Monitoring)
• धारा 31( 1) बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा (3) के तहत् गठित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग या धारा (17) के अधीन गठित राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, जैसी भी स्थिति हो, उक्त अधिनियम में उन्हें दिये गये कार्यों के अलावा निम्न कार्य भी करेंगे-
• (क) इस अधिनियम द्वारा/ के तहत् बाल अधिकारों के रक्षोपायों का परीक्षण एवं पुनर्विलोकन करना एवं उनके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु परामर्श प्रदान करना।
• (ख) निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के बाल अधिकार के संबंध में प्राप्त शिकायतों की जाँच करना एवं
• (ग) बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु बाल अधिकारों के संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 15 एवं 24 के तहत उपबंधित आवश्यक उपाय करना।

• धारा 31(2 ): उक्त आयोगों को, उपधारा( 1) के खण्ड( ग) के अधीन निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के बालक के अधिकार से सम्बन्धित किसी विषय में जाँच करते समय वही शक्तियाँ होंगी, जो बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 14 और धारा 24 के अधीन उन्हें समनुदेशित की गई हैं।

• धारा 31(3 ): जहां किसी राज्य में, राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग गठित नहीं किया गया है वहाँ समुचित सरकार उपधारा (1) के अधिकारों का संरक्षण खण्ड( क) से खण्ड( ग) में विनिर्दिष्ट कृत्यों का पालन करने हेतु विहित रीति में और विहित निर्बंधनों और शतों के अधीन रहते हुए ऐसे प्राधिकरण का गठन कर सकेगी।

धारा 32 : शिकायतों का निपटारा ;
• धारा 32(1) धारा 31 में अन्तर्विष्ट प्रावधानों के बावजूद् भी इस अधिनियम के तहत् बाल अधिकारों के सम्बन्ध में किसी भी व्यक्ति को कोई शिकायत हो तो वह अधिकारिता वाले स्थानीय प्राधिकरण को लिखित में अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा।

• धारा 32(2) उक्त उपधारा (1) के अधीन शिकायत प्राप्त होने के बाद स्थानीय प्राधिकारी, संबंधित पक्षकारों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करने के बाद शिकायत का तीन माह के अंदर निपटारा करेगा।

• धारा 32(3) स्थानीय प्राधिकरण के निर्णय से असंतुष्ट कोई व्यक्ति उसके निर्णय के विरुद्ध राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या इस अधिनियम की धारा 31(3) में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकेगा।

• धारा 32(4) उपधारा (3) के तहत् प्राप्त शिकायत को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या धारा 31 (3) में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो,अधिनियम की धारा 31 (3)(c) के अधीन अपील का निपटारा करेगा।

धारा 33 : राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन :
• धारा 33(1) केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा एक राष्ट्रीय सलाहकार परिपद (NAC) का गठन करेगी, जिसमें 15 से अनाधिक उतने सदस्य होंगे जितने केन्द्र सरकार उचित समझे एवं इनकी नियुक्ति प्रारंभिक शिक्षा एवं बाल अधिकारों का विशेष ज्ञान एवं व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से करेगी। इस प्रकार इस परिषद में अधिकतम 15 सदस्य हो सकते हैं।

• धारा 33(2) राष्ट्रीय सलाहकार परिषद केन्द्र सरकार को इस अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी तरीके से क्रियान्वित करने के संबंध में समुचित सलाह प्रदान करेगी ।

धारा 34 राज्य सलाहकार परिषद
• धारा 34(1) राज्य सरकार, उतनी संख्या के सदस्यों वाली, जो वह आवश्यक समझे तथा जो 15 से अधिक न हो, अधिसूचना द्वारा एक राज्य सलाहकार परिषद (SAC) का गठन करेगी। परिषद के सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से मनोनीत किये जाएंगे, जो प्रारंभिक शिक्षा एवं बाल विकास व बाल अधिकारों के मामलों का ज्ञान एवं व्यावहारिक अनुभव रखते हों।

धारा 34(2) राज्य सलाहकार परिषद राज्य सरकार को इसे अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी तरीके से क्रियान्वित करने के मामले में सलाह देगी।
राजस्थान नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम 2011 के नियम 28 में राज्य सलाहकार परिषद के गठन की प्रक्रिया निर्धारित की है।
इस परिषद में 1अध्यक्ष एवं 14 सदस्य होंगे जो निम्न होंगे-
(i) परिषद का पदेन अध्यक्ष-विद्यालय शिक्षा विभाग का प्रभारी मंत्री

(ii) नामित सदस्य –
• (a) अनुसूचित जाति/जनजाति/(अल्पसंख्यक वर्ग से कम से कम तीन सदस्य।
• (b) कम से कम 1 सदस्य ऐसा होगा, जिसे विशेष आवश्यकता वाले बालकों की शिक्षा का विशिष्ट ज्ञान व अनुभव हों।
• (c) एक सदस्य पूर्व प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ ज्ञान प्राप्त होगा।
• (d) कम से कम 1 सदस्य अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ होगा।

(iii) निम्न पदेन सदस्य होंगे-
• (a) प्रमुख शासन सचिव, स्कूल एवं संस्कृत शिक्षा, राजस्थान
• (b) सचिव, स्कूल एवं संस्कृत शिक्षा, राजस्थान
• (c) निदेशक, SCERT
• (d) आयुक्त/निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा
• (e) अध्यक्ष, राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग
• (f) राज्य परियोजना निदेशक (सर्वशिक्षा अभियान), परिषद का सदस्य सचिव होगा।

(iv) परिषद की एक तिहाई सदस्य महिलाएँ होंगी ।
(v) परिषद के नामित सदस्यों का कार्यकाल पदग्रहण की तिथि से 2 वर्ष होगा। सदस्य पुनर्नियुक्ति के पात्र होंगे, परन्तु कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक सदस्य नामित नहीं होगा।

 

 

अध्याय 7: विविध (Chapter VII: Miscellaneous)

धारा 35 : निर्देश जारी करने की केन्द्र सरकार की शक्ति:

• धारा 35(1) केन्द्र सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन के संबंध में समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी को आवश्यक दिशानिर्देश जारी कर सकती है।

• धारा 35(2) समुचित सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन के संबंध में स्थानीय प्राधिकारी या विद्यालय प्रबंध समिति को, जो वह आवश्यक समझे, निर्देश दे सकती है या मार्गदर्शक सिद्धान्त जारी कर सकती है।

•  धारा 35(3) स्थानीय प्राधिकारी, इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन के संबंध में विद्यालय प्रबंध समिति को आवश्यक मार्गदर्शक सिद्वान्त जारी कर सकती है या निर्देश दे सकती है।

धारा 38(1) में प्रावधान है कि केन्द्र सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों को क्रियान्वित करने में उत्पन्न किसी भी कठिनाई को राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा आवश्यक उपबन्ध कर सकेगी तथा इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन हेतु अधिसूचना द्वारा, आवश्यक नियमों का निर्माण कर सकेगी।

समुचित सरकार व प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्यः
सरकार या प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी
• (क) प्रत्येक बालक को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराएगा;
• (ख) धारा 6 में यथाविनिर्दिष्ट आसपास में विद्यालय की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा;
• (ग) यह सुनिश्चित करेगा कि दुर्बल वर्ग के बालक और अलाभित समूह के बालक के प्रति पक्षपात न किया जाए तथा किसी आधार पर प्राथमिक शिक्षा लेने और पूरा करने से वे निवारित न हों;
• (घ) अपनी अधिकारिता के भीतर निवास करने वाले चौदह वर्ष तक की आयु के बालकों का विहित रीति में अभिलेख रखेगा;
• (ड) अपनी अधिकारिता के भीतर निवास करने वाले प्रत्येक बालक द्वारा प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश, उपस्थिति और उसे पूरा करने को सुनिश्चित और मॉनीटर करेगा;
• (च) अवसंरचना, जिसके अन्तर्गत विद्यालय भवन, शिक्षण कर्मचारीवृंद और शिक्षा सामग्री भी है, उपलब्ध कराएगा;
• (छ) धारा 4 में विनिर्दिष्ट विशेष प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएगा;
• (ज) अनुसूची में विनिर्दिष्ट मान और मानकों के अनुरूप अच्छी क्वालिटी की प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करेगा;
• (झ) प्राथमिक शिक्षा के लिए पाठयचार और पाठयक्रमों का समय से विहित किया जाना सुनिश्चत करेगा;
• (ञ) शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएगा;
• (ट) प्रवासी कुटुंबों के बालकों के प्रवेश को सुनिश्चित करेगा;
• (ठ) अपनी अधिकारिता के भीतर विद्यालयों के कार्य संचालन को मानीटर करेगा; और
• (ड) शैक्षणिक कैलेण्डर का विनिश्चय करेगा।

राजस्थान निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम
2011 के नियम 7 के तहत् स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व :

• (1) कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों हेतु विद्यालय आस-पास की 1 किमी की पैदल दूरी के अंदर स्थापित किया जाएगा।
• (2) कक्षा 6 से 8 तक के बालकों हेतु विद्यालय 2 किमी तक की पैदल दूरी के अंदर स्थापित किया जाएगा।
• (3) दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों जैसे रेगिस्तानी या पहाड़ी क्षेत्र आदि के मामलों में राज्य सरकार या प्राधिकारी किसी ऐसे आवासीय क्षेत्र में जिसकी न्यूनतम जनसंख्या 150 हो तथा 6-11 वर्ष की आयु के न्यूनतम 20 बालक हो, वहां कक्षा 1 से 5 तक का 1 विद्यालय स्थापित किया जाएगा; इसके साथ ही किसी ऐसे आवासीय क्षेत्र में, जिसमें कम से कम दो पोषक प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम 30 बालक हों, वहाँ कक्षा 6 से 8 तक का एक विद्यालय स्थापित किया जाएगा।
• नियम 8 के तहत प्रावधान है कि राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि बालकों की विद्यालय तक पहुँच सामाजिक एवं आर्थिक कारकों के कारण प्रतिबाधित न हो।

• नियम 8 के तहत राज्य सरकार /स्थानीय प्राधिकारी का उत्तरदायित्व है कि निर्धारित विद्यालयों में प्रवेश लेने वाला बालक अधिनियम की धारा 3(2) में निर्दिष्ट किये अनुसार निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों एवं अन्य सहायक सामग्रियों को प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
प्रमाणपत्र : नियम 12 के अनुसार प्रारंभिक शिक्षा के पूर्ण होने का प्रमाणपत्र, शिक्षा के पूर्ण होने के 1 माह के भीतर विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा जारी किया जाएगा।

शिकायत निवारण समिति(नियम 24) : राजकीय स्वामित्व या उसके
नियंत्रणाधीन विद्यालयों के अध्यापकों की शिकायतों के निवारणार्थ निम्न सदस्यों वाली ब्लॉक स्तरीय शिकायत निवारण समिति का गठन होगा –
• (i) ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO)- अध्यक्ष
• (ii)ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारीसदस्य
• (iii) अपर ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारीसदस्य साचिव
प्रत्येक जिले में ब्लॉक स्तरीय शिकायत निवारण समितियों के ऊपर एक जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति की स्थापना की जाएगी जिसमें निम्न सदस्य होंगे-
• (1) जिला परिषद का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अध्यक्ष
• (2) जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारीसदस्य
• (3) अपर जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारीसदस्य सचिव

जो शिक्षक अपनी ब्लॉक शिकायत निवारण समिति के निर्णय से संतुष्ट न हो वह जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति में अपील कर सकता है।

बालकों एवं माता-पिता/ संरक्षक की शिकायत विद्यालय प्रबंध समिति (SMC) के अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी जिसका निवारण SMC की बैठक में किया जाएगा।
• विद्यालय प्रबंध समिति की कार्यवाही से असंतुष्ट व्यक्ति राजस्थान बाल संरक्षण आयोग के समक्ष आवेदन कर सकेगा।
• राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्णय के विरुद्ध अपील राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष की जाएगी।

22 सितम्बर 2008 को राज्य सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक के सभी
विद्यार्थियों हेतु राजकीय शिक्षण शुल्क मुक्त कर दिया।
• अब राजस्थान 8वीं तक के सभी विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया। पूर्व में यह सुविधा केवल लड़कियों को ही देय थी।

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य :

राजस्थान विधानसभा ने 17 सितम्बर, 2015 निःशुल्क एवं अनिवार्य
बाल शिक्षा अधिकार (राजस्थान संशोधन ) अधिनियम, 2015 पारित
किया है। इस संशोधन अधिनियम द्वारा राजस्थान ने RTE Act 2009 की धारा(8) में संशोधन कर निम्न clause (iii) जोड़ा है।
• (iii) समुचित सरकार का कर्त्तव्य है कि 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बालक द्वारा कक्षा का समुचित अधिगम स्तर प्राप्त करना सुनिश्चित करे।

अधिनियम की धारा 16 के अंत में निम्न परन्तुक जोड़ा गया है,
• परन्तु यदि किसी बालक ने किसी कक्षा में कक्षा का समुचित अधिगम स्तर (appropriate learning level) प्राप्त नहीं किया है तो उसे उसी कक्षा में रोका ( फेल ) किया जा सकेगा।

अधिनियम की धारा 21 की उपधारा (2) के क्लॉज (c) के बाद निम्न
क्लॉज (ca) जोड़ा गया है।
• (ca) यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक अधिनियम की धारा 24 में विनिर्दिष्ट अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हैं ।

अधिनियम की धारा 24 की उपधारा ( 1) के खण्ड (घ) में विद्यमान
शब्द ‘यथा अपेक्षित’ के स्थान परकक्षा का समुचित अधिगम स्तर
प्राप्त करने के लिए अपेक्षित‘ शब्द समूह प्रतिस्थापित किये गये हैं।

अधिनियम की धारा 29(1) में विद्यमान शब्द ‘पाठ्यक्रम’ के बाद
एवं ‘और मूल्यांकन प्रक्रिया’ के बीच मेंकक्षा का समुचित अधिगम
स्तर’ शब्द जोड़े गये हैं ।

संसद ने RTE Act (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा RTE Act की धारा 16 में संशोधन कर कक्षा 5 एवं 8 में बालक को अनुत्तीर्ण करने का प्रावधान कर दिया है।

RTE एक्ट की धारा 7( 6) के तहत् प्रारंभिक शिक्षा हेतु राष्ट्रीपाठ्यक्रम (National Curriculum) निर्धारित करने हेतु केन्द्र सरकार ने NCERT, नई दिल्ली को शैक्षिक प्राधिकारी (Academic Authority) अधिसूचित  किया है तथा धारा 23(1) हेतु राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) को समुचित प्राधिकारी घोषित किया है।

NCERT द्वार तैयार NCF-2005 (National Curriculum Framework-2003)
को ही प्रारंभिक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यक्रम स्वीकार किया गया है।

केन्द्र सरकार द्वारा 8 अप्रैल, 2010 को अधिसूचित ‘नि:शुल्क व
अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010′ के नियम 29 के
अधीन राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन : परिषद में अध्यक्ष सहित
अधिकतम 15 सदस्य निम्न होंगे-
(1) अध्यक्ष: केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री (अब केन्द्रीय शिक्षा मंत्री)
(2) नामित सदस्य : केन्द्रीय सरकार द्वारा इनकी नियुक्ति ऐसे व्यक्तियों में से की जाएगी, जो प्रारंभिक शिक्षा एवं बाल विकास के क्षेत्र में पर्याप्त ज्ञान एवं व्यवहारिक अनुभव रखते हों। ये निम्न होंगे-
• (a) अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक वर्ग के कम से कम 3 सदस्य
• (b) विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा का विशेष ज्ञान व अनुभव रखने वाला व्यक्ति कम से कम एक सदस्य।
• (c) एक सदस्य पूर्व प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ ज्ञान प्राप्त हो
• (d) कम से कम एक सदस्य अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान एवं विशेषज्ञता रखता हो।

(3) पदेन सदस्य (5 )
• (i) सचिव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग
• (ii) निदेशक, NCERT
• (iii) कुलपति, राष्ट्रीय शैक्षिक आयोजना व प्रशासन विश्व विद्यालय (NUEPA)
• (iv) अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिपद (NCTE)
• (v) अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग।

(4) सभी सदस्यों में एक-तिहाई महिलाएँ होंगी।

परिषद के नामित सदस्यों का कार्यकाल नियुक्ति की तिथि से 2 वर्ष होगा
आयु के सबूत हेतु दस्तावेज:
राजस्थान नि :शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम 2010 के नियम 12 के तहत् बालक के प्रारंभिक शिक्षा हेतु विद्यालय में प्रवेश के लिए आयु के सबूत (proof of age) में निम्न में से कोई भी दस्तावेज मान्य होगा-
1. जन्म प्रमाण पत्र,
2. जहां जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है वहाँ-
(a) अस्पताल / सहायक नर्स एवं दाई (ann) का रजिस्टर/अभिलेख
(b) आँगनबाड़ी अभिलेख
(c)माता-पिता/ संरक्षक द्वारा बालक की आयु की घोषणा

प्रवेश के लिए विस्तारित कालावधि (नियम 13) विद्यालय के शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ की तिथि से 6 माह की होगी

धारा 19 और 25 विद्यालय के लिए प्रतिमान और मानक

शिक्षकों द्वारा न्यूनतम अर्हताओं को अर्जित किया जाना (नियम 18)
• प्रारंभिक शिक्षा हेतु स्थापित विद्यालयों में RTE Act 2009 की धारा 23 (1) द्वारा अधिसूचित शैक्षणिक प्राधिकारी (NCTE) द्वारा निर्धारित योग्यताएँ नहीं रखने वाले कार्यरत शिक्षकों को अधिनियम के लागू होने के 5 वर्ष (31-3-2015 तक) में निर्धारित शैक्षणिक योग्यताएँ अर्जित करनी थी।
• केन्द्र सरकार ने नियमों में शिथिलता प्रदान कर मार्च, 2017 में यह अवधि 4 वर्ष और बढ़ाकर 31 मार्च, 2019 तक कर दी है

असुविधाग्रस्त समूह या कमजोर वर्ग के बालकों का निःशुल्क प्रवेशः
• निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का बाल अधिकार अधिनियम, की धारा 12 के अनुसार प्रत्येक अनुदानित या निजी विद्यालय को अपनी प्रारंभिक प्रवेश कक्षा (कक्षा 1 या पूर्व प्राथमिक कक्षा,जैसी भी स्थिति हो) में विद्यालय की कुल का कम से कम 25% सीटों पर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित असुविधाग्रस्त समूह (Disadvantaged Group) या कमजोर वर्ग (Weaker Sections) के बालकों को निःशुल्क प्रवेश देना अनिवार्य है तथा उन्हें निःशल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक उसकी व्यवस्था करेगा।

असुविधाग्रस्त समूह में निम्न शामिल हैं-
• अनुसूचित जाति (SC)
• अनुसूचित जनजाति (ST)
• अन्य पिछडा वर्ग (OBC) एवं
• विशेष पिछड़ा वर्ग (SBC), जिनके माता-पिता/अभिभावक की कुल वार्षिक आय 2.5 लाख रु. से अधिक न हो।
• पी.डब्ल्यू.डी. अधिनियम, 1995 की धारा 2 में यथा परिभाषित नि:शक्तजन(Disabled)

कमजोर वर्ग में निम्न शामिल होंगे-
• वह बालक, जिसके माता-पिता/अभिभावक राज्य सरकार द्वारा तैयार की गयी गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की सूची (केन्द्र व राज्य सरकारों की BPL सूची) में शामिल हैं।
• वह बालक जिसके माता-पिता/अभिभावक की कुल वार्षिक आय 25 लाख रुपए से अधिक नहीं है।

नोट- उपर्यंक्त वर्गों के बालकों को प्रमाण-पत्र राज्य सरकार द्वारा अधिकृत सक्षम प्राधिकारी (वर्तमान में तहसीलदार) द्वारा प्रदान किया जाएगा।
• निःशक्तता से संबंधित प्रमाण पत्र पी.डब्ल्यू.डी. एक्ट के तहत् घोषित सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिया जाएगा।

बालक की आयु के संबंध में स्वीकृत प्रमाण – पत्र-
• जन्म प्रमाण-पत्र, या
• अस्पताल में कार्यरत ए. एन.एम. का रजिस्टर, या
• आँगनबाडी का रिकॉर्ड, या
• माता-पिता/संरक्षक द्वारा की गई घोषणा।

विद्यालय द्वारा इस समूह के बालकों के प्रवेश के लिए आवेदन शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित प्रारूप में गुलाबी रंग (Pink Colur) में होगा।
• इन आवेदन पत्रों का एक अलग रजिस्टर में पंजीयन होगा।
यदि विद्यालय क्षेत्र से संबंधित ग्राम पंचायत/ नगर निगम/नगर परिषद/नगरपालिका से प्रवेश लेने वाले बालकों के आवेदन पत्र निर्धारित सीटों से अधिक हैं तो उस गाँव/वार्ड के बालकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिस गाँव/वार्ड में वह विद्यालय स्थित है।
• उक्त गाँव/वार्ड के बालकों के प्राप्त आवेदन पत्रों की संख्या भी निर्धारित सीटों से अधिक होने पर लॉटरी द्वारा प्रवेश दिये जाएँगे।
• निजी संस्थाओं में इन 25% सीटों पर प्रवेशित बालकों की फीस का पुनर्भरण राज्य सरकार द्वारा नियम-11 में दी गई विधि से किया जाएगा।

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