स्टेट इनीशिएटिव फॉर क्वॉलिटी एजूकेशन
SIQE ➤ State Initiative for Quality Education
• शिक्षा वस्तुतः ज्ञान कौशल एव विकास की सूत्रधार होती है । देश एवं समाज का पोषण, वर्द्धन और समृद्धि ही शिक्षा की त्रिवेणी है।
• शिक्षा के माध्यम से ही परिवर्तन, क्रान्ति और उन्नति संभव है।
• शिक्षा अपरिहार्य, विचार्य और व्यवहार्य है। औपचारिक रूप से विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा शिक्षक के माध्यम से शिक्षार्थी तक पहुँचती है ।
• राज्य के विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1-5 तक) के बच्चों के शैक्षिक स्तर के उन्नयन तथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु ‘स्टेट इनीशिएटिव फॉर क्वालिटी एजूकेशन’ (State lnitiative for Qualiy Education) कार्यक्रम प्रभावी रूप से लागू किया गया है।
• इस कार्यक्रम के तहत् यूनिसेफ (UNICEF– United Nations International Children’s Emergency Fund), वर्तमान मे United Nations’s Children Fund, द्वारा भी सपोर्ट एवं फण्डिंग उपलब्ध करवाई जा रही है।
SIQE के तहत् निम्न तीन कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक एवं
प्रभावी रूप से कार्यान्वित किया जा रहा है-
1. CCE ◆Continuous and Comprehensive Evaluation
• सतत् एवं समग्र मूल्यांकन
2. CCP ◆ Child Centered Pedagogy
• बाल केन्द्रित शिक्षण
3. ABL ◆ Activity Based Learning
• गतिविधि /क्रिया आधारित अधिगम
SIQE में उक्त तीनों को कक्षा-कक्षीय प्रक्रिया में पूर्णरूप से लागू करने की पहल के तहत् राज्य स्तर पर संबलन एवं मॉनिटरिंग हेतु निदेशालय प्रारंभिक शिक्षा में ‘SIQE अनुभाग‘ कार्यरत है।
SIQE परियोजना के उद्देश्य
• राज्य के समन्वित राजकीय माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 10 एवं 1 से 12) में अध्ययनरत कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के अधिगम स्तर में गुणात्मक वृद्धि सुनिश्चित करना।
• बाल केन्द्रित शिक्षण विद्या (Child Centered Pedagogy) तथा सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) के समन्वित क्रियान्वयन द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी के अधिगम स्तर एवं उपलब्धि को सुनिश्चित करना।
• प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों की Transition Rate में उच्चतम स्तर तक सुधार लाना।
• विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक में नामांकित सभी विद्यार्थियों का, उनकी आयु व कक्षा के अनुरूप शैक्षिक स्तर सुनिश्चित करना।
• विद्यालयों में बाल केंद्रित शिक्षण विद्या के क्रियान्वयन के लिए सभी शिक्षकों का क्षमतावर्धन करना।
• विद्यालय प्राचार्य एवं प्रभारी प्रारम्भिक शिक्षा को अकादमिक सहयोगकर्त्ता के रूप में तैयार करना।
• जिला शैक्षिक योजना के निर्माण, संचालन एवं समीक्षा हेतु जिला स्तर पर अकादमिक समूहों को तैयार करना एवं उनका क्षमता वर्धन करना।
RTE Act, 2009 के तहत् 6-14 आयुवर्ग के बालकों को निःशुल्क व अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा मुहैया कराना राज्य का कर्तव्य निर्धारित किया गया है तथा बालकों के शैक्षिक उन्नयन के माध्यम से उनका सर्वांगीण विकास एक बुनियादी अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया है।
• यह अधिनियम प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को पर्याप्त महत्व प्रदान करते हुए सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) एवं अध्यापकों के उत्तरदायित्वों का भी प्रावधान करता है।
• SIQE में बच्चे के अधिगम संबंधी कठिनाइयों को समझकर उनकी पहचान करने तथा उनका निराकरण कर बच्चों को भयमुक्त वातावरण में शिक्षा प्रदान कर उनके शैक्षिक उन्नयन व व्यक्तित्त्व विकास को संभव बनाता है। इसके साथ ही उन्हें सृजनशील व मौलिक चिंतनशील भी बनाता है।
स्टेट इनीशिएटिव फॉर क्यालिटी एजूकेशन (SIQE) के विभिन्न संघटक कार्यक्रमों (Components Plans) जैसे CCE, CCP एवं ABC के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं-
• बाल केन्द्रित शिक्षण (CCP) के माध्यम से सीखने के उचित एवं प्रभावी तथा पर्याप्त अवसर मुहैया कराना।
• गतिविधि आधारित अधिगम (ABC) प्रक्रिया द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्ददायी, रुचिकर एवं प्रभावी बनाना।
• ज्ञान (अधिगम) को स्थाई एवं प्रभावी बनाते हुए प्रारंभिक शिक्षा की नींव को सुदृढ करना।
• बालकों में सृजनात्मकता (Creativily) एवं मौलिक चिंतन (Fundamental Thinking) को विकसित करना।
• विद्यार्थियों में परीक्षा के डर (Exam Phobia) को समाप्त करना।
• बच्चों की क्षमताओं व स्तरों के अनुसार शिक्षण योजना का निर्माण कर शिक्षण कार्य करते हुए शैक्षिक प्रगति को नियमित रूप से दर्ज करना।
• बच्चों को पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराते हुए उनके संज्ञानात्मक (Cognitive) एवं व्यक्तित्व विकास (Personality Development) के सभी पक्षों (aspects) का मूल्यांकन (evaluation) करना।
• शिक्षकों के समाज के साथ जुड़ाव के तहत् बच्चों की उपलब्धि एवं प्रगति को अभिभावकों से साझा करना।
• विद्यार्थियों के अधिगम स्तर में गुणात्मक उन्नयन के साथ-साथ उनके विद्यालय में नामांकन एवं ठहराव में वृद्धि करना।
• राजस्थान में सभी राजकीय विद्यालयों (प्राथमिक, उच्चप्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक) में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के शैक्षिक उन्नयन व सर्वांगीण विकास हेतु SIQE कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके तहत् न केवल बालकों की अधिगम क्षमताओं को विकसित व सुदृढ़ किया जा रहा है बल्कि शिक्षकों का क्षमतावर्धन भी किया जा रहा है ताकि अधिक सक्षम व योग्य शिक्षक उपलब्ध हो सकें।
• SIQE कार्यक्रम का संचालन प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद व राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उदयपुर के माध्यम से किया जा रहा है।
• SIQE कार्यक्रम को यूनिसेफ द्वारा आवश्यक तकनीक सहयोग एवं वित्तीय अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है।
• निदेशालय प्रारम्भिक शिक्षा, राज्य सरकार द्वारा संचालित SIQE, कार्यक्रम विद्यालयों में बालकों के सतत् एवं व्यापक मुल्यांकन के साथ प्राथमिक कक्षाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु प्रतिबद्ध है।
• शिक्षा अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सक्रिय एवं संवेदनशील बनाने हेतु पर्यवेक्षण एवं नियन्त्रण को प्रभावी बनाने तथा विद्यार्थियों के पोर्टफोलियो, भित्ती पत्रिका तथा ‘पेटिंग ऑफ द डे’ आदि के द्वारा विद्यार्थियों की सृजनात्मक योग्यता में अभिवृद्धि का सार्थक प्रयास किया जा रहा हैं।
1.सतत् एवं समग्र मुल्यांकन
Continuous and Comprehensive Evaluation
SIQE के तहत् CCE प्रणाली कक्षा 1 से 5 तक के लिए
कार्यांन्वित की जा चुकी है।
• इसके तहत् वर्ष भर विद्यार्थियों का समग्र मूल्यांकन (Formative एवं Summative) निरन्तर जारी रहता है।
• सीसीई सीखने-सिखाने एवं मूल्यांकन की सतत प्रक्रिया है, जिसमें अध्ययनरत बालक-बालिकाओं का निरन्तर एवं समग्र मूल्यांकन करते हुए शैक्षिक अभिवृद्धि हेतु प्रयास किया जाता है।
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम -2009 (RTE Act, 2009) की पालना में राज्य में सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) को लागू किया गया है।
• केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा CCE अक्टूबर 2009 में कक्षा 9 में लागु किया गया था।
• इसके बाद CCE वर्ष 2010-11 में 10वीं बोर्ड की परीक्षा में लागु की गई।
• चरणबद्ध रूप से कार्यक्रम का विस्तार करते हुए वर्ष 2019-20 में समस्त राजकीय विद्यालयों, जिनमें कक्षा 5 संचालित है, में सतत व व्यापक मूल्यांकन कार्यक्रम (सीसीई) का विस्तार किया गया है ।
• इसके अन्तर्गत आंकलन की प्रक्रिया को लचीला बनाते हुए सतत और समग्र की अपेक्षा की गई है। इसके अन्तर्गत शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों के अधिगम स्तर के अनुसार विषयवार योजना बनाकर समूहवार कार्य किया जाता है।
सीसीई की प्रक्रिया को और अधिक स्पष्टता एवं प्रभाव पूर्णता
प्रदान करने के लिये इसमें गतिविधि आधारित अधिगम (ABL) को अपनाया गया है, जिसके अन्तर्गत राज्य के 28212 विद्यालयों में ABL कक्षा 01 से 02 के किट (शिक्षण उपयोगी सामग्री) उपलब्ध कराये गये हैं।
बाल केंद्रित शिक्षण (Child Centered Pedagogy):
SIQE कार्यक्रम का दूसरा प्रमुख घटक बाल केन्द्रित शिक्षण है।
• इसके तहत् अध्यापन में ऐसी शिक्षण विधियों को प्रयुक्त किया जाता है, जिनसे बच्चों में सीखने की इच्छा जागृत होती है तथा उसके प्रति रुचि उत्पन्न हो जाती है।
• इसके अलावा अधिगम प्रक्रिया को सरल- प्रभावी एवं स्थाई करने हेतु उपयुक्त शैक्षिक प्रविधियाँ प्रयोग में ली जाती हैं।
• इस कार्यक्रम के तहत् शिक्षकों की क्षमतावर्धन तथा उनकी विचार प्रक्रिया में बेहतरी हेतु आवश्यक परिवर्तन एवं शिक्षण क्षेत्र में सूधार तथा नवाचारों के प्रयोग के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाती है।
3. ABL(Activity Based Learning)
क्रिया/ गतिविधि आधारित अधिगम
• SIOE के इस घटक के अन्तर्गत बालकों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाया जाता है।
• इससे बच्चों में न केवल अधिगम के प्रति रुचि जागृत होती है, बल्कि बच्चे खेल-खेल में क्रियाओं के माध्यम से अच्छी तरह सीख लेते हैं तथा ऐसा अधिगम अधिक स्थाई व प्रभावी होता है।
• ABL कार्यक्रम मुख्यतः कक्षा 1 एवं 2 के लिए बच्चों की नींव मजबूत करने के लिए प्रयुक्त कार्यक्रम है।
• इस हेतु शिक्षा विभाग द्वारा 16×20 फीट आकार के कक्षा-कक्ष को गतिविधि कक्ष (activity room) के तौर पर विकसित किया जाता है।
• इसे इस प्रकार विकसित किया जाता है कि उसमें 40-50 बच्चे आसानी से बैठ सकें।
• इस प्रक्रिया में विद्यार्थी विभिन्न रुचिकर गत्तिविधियों के माध्यम से आनन्ददायी तरीके से एवं अपनी गति से स्वयं करके अधिगम करता है।
परियोजना के संचालन व मॉनिटरिंग हेतु निकाय
SIQE परियोजना संचालन हेतु निम्न समितियों का गठन किया गया है।
• राज्य के शीर्ष निकाय के रूप में नीति निर्धारण के लिए प्रोग्राम स्टी्यरिंग कमेटी (Programme Steering Commitee), जिसका अध्यक्ष राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् का आयुक्त होता है।
• परियोजना गतिविधियों की नियमित क्रियान्विति सुनिश्चित करने के लिए राज्य कार्यकारी समूह (State Working Group) का राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् के अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में गठन।
• परियोजना के शैक्षिक एवं तकनीकी पक्षों से सम्बन्धित निर्णय लेने के लिए राज्य शैक्षिक समूह (State Academic Group); अध्यक-निदेशक, SCERT,उदयपुर।
• जिला स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन व मॉनीट्रिंग के लिये जिला कोर ग्रूप (DCG) का गठन किया गया है। अध्यक्ष: जिला शिक्षा अधिकारी प्रथम (माध्यमिक शिक्षा)
परियोजना का क्रियान्वयन
• परियोजना का संचालन निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर द्वारा किया जा रहा है।
• शैक्षिक समर्थन, प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने का कार्य राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् जयपुर के माध्यम से किया जाता है।
• समस्त अकादमिक कार्य RSCERT, उदयपुर द्वारा किया जाता है।
• परियोजना का संचालन यूनिसेफ एवं बोध शिक्षा समिति के तकनीकी समर्थन से किया जा रहा है।
• जिला स्तरीय संस्थानों को सहयोग देने के लिए युनिसेफ एवं बोध शिक्षा समिति जयपुर द्वारा संयुक्त रूप से, प्रत्येक जिले पर जिला समश्चन अध्येता (District Support Fellow) उपलब्ध करवाया गया है
• D.S.F. कार्यक्रम के नियोजन, क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग में मुख्य सलाहकार के रूप में समर्थन प्रदान करता है।
जिला निष्यादक समिति (DDC)
• शिक्षा में गुणवत्ता एवं सुधार हेतु राज्य के सभी 33 जिलों में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला निष्पादक समिति का गठन किया गया है।
• समिति की मासिक बैठकों में विद्यालय की शैक्षिक, सह शैक्षिक, भौतिक एवं अन्य विद्यालय हित सम्बन्धी एजेण्डा पर समीक्षा की जाती है ।
DAG & DCG बैठक
• जिला अकादमिक समूह (DAG) और जिला कोर समूह (DCG) की बैठकों की भी समीक्षा समय समय पर की जाती है।
• राज्य में नवीन शिक्षा संकुल व्यवस्था के अन्तर्गत मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जिलों में SIQE कार्यक्रम की सफल मॉनिटरिंग हेतु सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों का WhatsApp group तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से (SIQE) कार्यक्रम की समस्त जानकारी का आदान-प्रदान किया जाता है।
SIQE के तहत् शिक्षकों हेतु निर्देश
कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम को 4 terms में विभक्त किया गया है।
शिक्षण-सत्र को 2 माह 15 दिनों के 4 terms में विभाजित किया गया है।
• 1st Term ➤1 जुलाई से 15 सितम्बर तक
• 2nd Term ➤16 सितम्बर से 30 नवम्बर तक
• 3rd Term ➤1 दिसम्बर से 15 फरवरी तक
• 4th Term ➤16 फरवरी से 30 अप्रैल तक निर्धारित किया गया है
• प्रत्येक टर्म के अधिगम लक्ष्य चार भागों/खण्डों में विभाजित हैं; प्रत्येक भाग पर कार्य करने के लिए लगभग 2 माह व 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है।
• अपेक्षा यह है कि ढाई माह की अवधि में एक भाग को पूरा करने के लिए लगभग 55-60 कार्य-दिवस उपलब्ध हो पाते हैं।
• यह टर्म अवधि एक तरह से एक योगात्मक आकलन की अवधि भी है।
• हर टर्म की समाप्ति के बाद एक योगात्मक आकलन किया जाता है, जिसके बाद आगामी टर्म के उद्देश्य निर्धारित कर पहली की तरह ही कार्य किया जाता है।
• हर टर्म में दो बार रचनात्मवक आकलन किया जाता है।
• दो रचनात्मक आकलन व एक योगात्मक आकलन के बाद बच्चों के साथ टर्म में रही कमजोरी पर उपचारात्मक शिक्षण कार्य करवाया जाता है।
बच्चों की प्रगति को फार्मेटिव एवं समेटिव फार्मेट में दर्ज करने के
लिए ग्रेड (A, B व C) दिया जाना तय किया गया है। इसका आधार इस प्रकार है:-
• A ➤स्वतंत्र रूप से कर लेता है/आगामी स्तर
• B ➤शिक्षक की मदद से कर पाता है/ मध्यम स्तर
• C ➤विशेष मदद की आवश्यकता है/आरम्भिक स्तर
• सत्र में दो बार बेसलाइन एवं एण्डलाइन मूल्यांकन का सत्यापन डाइट में अध्ययनरत एस.टी.सी के विद्यार्थी -शिक्षकों (STC Students) द्वारा किया जायेगा।
• विद्यार्थियों की प्रगति की जानकारी विद्यालय में प्रतिमाह होने वाली अध्यापक अभिभावक बैठक में प्रदान की जाती है। साथ ही प्रगति रिपोर्ट प्रत्येक अभिभावक को प्रेषित की जाती है।
SIQE परियोजना में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की भूमिका
परियोजना परिचालन समिति (PSC);