समग्र शिक्षा अभियान (SMSA)
• केन्द्रीय बजट 2018-19 में विद्यालयी शिक्षा की प्री. स्कूल कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक की शिक्षा के बिना किसी वर्गीकरण (Segmentation) के एकीकृत व समग्र रूप में विकास व उन्नयन हेतु एक नया ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा अभियान’ प्रारंभ करने का प्रावधान किया गया।
• इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबीनेट कमेटी ने समग्र शिक्षा अभियान को प्रारंभ करने का निर्णय लिया । तद्नुसार केन्द्र सरकार ने प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2020 तक की अवधि के लिए एक समन्वित प्लैगशिप कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा अभियान (SMSA) ‘ प्रारंभ किया है, जो एक समयबद्ध कार्यक्रम है।
• इस अभियान में प्री. स्कूल कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक को एकीकृत रूप में एवं निरंतरता में शामिल किया गया है।
NOTE:
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने समग्र शिक्षा योजना (अभियान) को नये संशोधित रूप में 5 वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।
• वर्ष 2021-22 से 2025-26
• (1अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026) तक के लिए
• इसका इस 5 वर्ष की अवधि में कुल प्रावधान 2,94,283.04 करोड़ रु. (185398.32 करोड़ रु. केन्द्रीयांश एवं शेष राज्यांश) किया गया है।
केन्द्र सरकार द्वारा 2018-19 में प्रायोजित इस कार्यक्रम में पूर्व में चल रहे निम्न 3 कार्यक्रमों को समाहित किया गया है-
• 1. सर्वशिक्षा अभियान (SSA),
• 2. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) एवं
• 3. शिक्षक शिक्षा (TE) कार्यक्रम
‘समसा’ कार्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबको शिक्षा, अच्छी
शिक्षा’ के विजन के परिप्रेक्ष में देश में सभी बच्चों को प्री. स्कूल से लेकर कक्षा 12 तक की शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राज्यों की सहायता के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है।
• बच्चों का बहुमुखी विकास इस कार्यक्रम का मुख्य ध्येय है।
• यह कार्यक्रम तत्समय चल रही शैक्षिक उन्नयन योजनाओं के क्रियान्वयन तंत्र (implementation mechanism) एवं सभी स्तरों पर संचालन लागतों के मध्य समुचित सामंजस्य कायम करने हेतु प्रारंभ किया गया।
• ‘समग्र शिक्षा’ स्कीम प्री स्कूल से कक्षा 12 तक की स्कूली शिक्षा के संपूर्ण पहलुओं को समन्वित करते हुए प्रारंभ की गई एकीकृत योजना (Integrated Scheme) है।
• यह योजना संपूर्ण स्कूली शिक्षा को एक निरंतरता (Continuity) में मानती है तथा यह शिक्षा के लिए निर्धारित ‘सतत् विकास लक्ष्य’ (SDG-4) के अनुसरण में है।
• यह योजना नई शिक्षा नीति, 2020 की सिफारिशों के साथ समन्वित की गई है।
समग्र शिक्षा अभियान (समसा ) के उद्देश्यः
• इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्री. स्कूल ( नर्सरी ) से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर (कक्षा 12) तक निरन्तरता में सबके लिए समान रूप से समग्र एवं गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करना एवं विद्यार्थियों के अधिगम परिणामों (learning outcomes) का उन्नयन/सुधार करना। है।
• इसमें अध्यापकों के प्रशिक्षण एवं शैक्षिक प्रौद्योगिकी पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने पर विशेष बल दिया गया है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य राज्य/संघ क्षेत्रों की सरकारों को निम्न के संबंध में सहायता(support) प्रदान करना है-
• 1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP 2020) की सिफारिशों के क्रियान्वियन के संबंध में।
• 2. राज्यों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act, 2009) को लागू करने में सहायता प्रदान करना।
• 3. आरंभिक बचपन देखभाल (early childhood care) एवं शिक्षा
• 4. मौलिक साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान पर बल देना /Emphasis on fundamental literacy and numeracy
• 5. विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल प्रदान करने (skills impart करने) हेतु हॉलिस्टिक, एकीकृत (integrated), समावेशी (inclusive) एवं क्रिया आधारित (activity based) पाठ्यक्रम तथा शिक्षण पर जोर (thrust) देना।
• 6. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना और विद्यार्थियों के अधिगम के परिणामों (quality education and learming outcomes) के उन्नयन हेतु प्रावधान।
• 7. स्कूल शिक्षा में सभी स्तरों पर सामाजिक और लैंगिक अंतरालों को पाटना (bridging the social and gender gaps)।
• 8. स्कृल शिक्षा के सभी स्तरों पर समता और समावेशिता (equity and inclusion) सुनिश्चित करना।
• 9. शिक्षक प्रशिक्षण की नोडल एजेंसी के रूप में राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषदों (SCERT), राज्य शैक्षिक संस्थानों (SIE), डाइट्स आदि को सुदृढ़ एवं प्रोन्नत करना। (strengthen & upgrade)
• 10.विद्यालयी शिक्षा में सुरक्षित एवं संरक्षित (safe and secure) तथा अनुकूल अधिगम वातावरण (conducive learming enviroment) सुनिश्चित करना एवं विद्यालयी मानदण्डों (प्रोविजन्स) में न्यूनतम मानकों (minimum standards) को सुनिश्चित करना।
• 11.व्यावसायिक शिक्षा (वोकेशनल एजूकेशन) को प्रमोट करना।
इस कार्यक्रम[SMSA] के प्रमुख लक्ष्य हैं-
• शिक्षा पर सार्वजनीन पहुँच
• समता एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
• व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा
• शिक्षक शिक्षा संस्थानों का सुदृढ़ीकरण
समग्र शिक्षा अभियान (SMSA) का क्रियान्वयन एक केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में राज्य/संघ शासित क्षेत्र स्तर पर एक एकल राज्य क्रियान्वयन समिति (Single Implementation Society: SIS) के माध्यम से किया जा रहा है।
समग्र शिक्षा की मॉनिर्रिंग एवं निर्देश हेतु केन्द्रीय स्तर पर निम्न संरचनात्मक व्यवस्था है-
शासी परिषद (Govering Council) राष्ट्रीय स्तर
अध्यक्ष: केन्द्रीय शिक्षा मंत्री
🔻
परियोजना अनुमोदन बोर्ड /Project Approval Board
(अध्यक्ष: सचिव, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, दिल्ली)
🔻
राज्य क्रियान्वयन एजेंसी राज्य स्तर
(राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्)
(प्रमुख: आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक)
प्रथम वर्ष (2018-19) में समग्र शिक्षा अभियान हेतु 30780.81 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया था।
• शासी परिषद् (Goveming Council) को समसा योजना के Overall Framework की सीमाओं के अन्तर्गत वित्तीय एवं क्रियान्वयन मानदण्डों को परिवर्तित करने (modify) तथा क्रियान्वयन हेतु विस्तृत दिशा- निर्देशों को अनुमोदित करने की शक्तियाँ हैं । इन सुधारों (modifications) में विद्यालयी शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हेतु आवश्यक नवाचार एवं हस्तक्षेप (innovations and interventions) शामिल होंगे।
समग्र शिक्षा स्कीम का विजन प्री स्कूल से लेकर सीनियर सैकण्डरी तक की शिक्षा को शिक्षा के लिए पोषणीय विकास लक्ष्य (SDG) के अनुसरण में समावेशी एवं समतापूर्ण शिक्षा (inclusive & equitable education) को सुनिश्चित करता है।
• SDG लक्ष्य 4.1 /(Goal SDG-4.1) यह प्रावधान करता है कि वर्ष 2030 तक सभी छात्र-छात्राओं को समतापूर्ण एवं गुणवत्तायुक्त प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा नि:शुल्क उपलब्ध हो सके एवं जिसके प्रभावी अधिगम परिणाम भी प्राप्त हों।
• SDG 4.5 निर्धारित करता है कि वर्ष 2030 तक शिक्षा में सभी स्तरों पर लैंगिक भेदभाव समाप्त होंगे तथा यह सुनिश्चित करता है शिक्षा के सभी स्तरों पर सभी को शिक्षा की समान पहुँच होगी तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध होगा।
राजस्थान में इस योजना का क्रियान्वयन केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में किया जा रहा है ।
• इसके क्रियान्वयन हेतु शिक्षा विभाग द्वारा राज्य स्तर पर एक ‘एकल क्रियान्वयन समिति’ के रूप में ‘राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्‘ का गठन किया गया है।
• ‘समसा’योजना देश के 15.1 लाख विद्यालयों, 26.4 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों एवं सरकारी व निजी विद्यालयों के 96.8 लाख शिक्षकों को कवर करती है।
वित्त पोषण
• समग्र शिक्षा अभियान की वित्तीय व्यवस्था केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा 60 : 40 के अनुपात में की जाती है ।
• 8 पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों यथा अरुणाचलप्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम एवं त्रिपुरा तथा हिमालयी क्षेत्र के 2 केन्द्रशासित क्षेत्र-जम्मु कश्मीर व लद्दाख तथा 2 राज्यों उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश के लिए वित्त व्यवस्था केन्द्र एवं राज्यों में 90 : 10 के अनुपात में की जाती है।
• बिना विधानसभा वाले केन्द्र शासित प्रदेशों में 100% वित्त केन्द्र सरकार प्रदान करती हैं।
राजस्थान में समग्र शिक्षा अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर, जिला स्तर, खण्ड स्तर एवं संकूल स्तर पर संगठनात्मक आधार
का सृजन किया गया है ।
• राज्य स्तर पर समग्र शिक्षा अभियान का नियंत्रण, प्रबंधन एवं पर्यवेक्षण ‘आयुक्त’ (समग्र शिक्षा अभियान ) में निहित है, जिसके अधीन राज्य परियोजना निदेशक, अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारीगण हैं।
• जिला स्तर पर ‘मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी‘ समग्र शिक्षा अभियान के “जिला परियोजना समन्वयक” (DPC) के रूप में इस योजना के जिला प्रभारी हॉंगे।
• ब्लॉक स्तर पर ‘मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी’ (CBEO) ही इस कार्यक्रम का इंचार्ज होगा तथा वही ‘ब्लॉक संदर्भ केन्द्र सहयोगी’ (BRCF) का कार्य भी करेंगा।
• संकुल स्तर (CIuster level) पर समग्र शिक्षा का जिम्मा ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (PEEO) का तथा शहरी क्षेत्र में संकूल संदर्भ केन्द्र सहयोगी (CRCF) का होता है।
SMSA का राज्य/संभाग/जिला/ब्लॉक/स्तरीय संगठनात्मक ढाँचा
समग्र शिक्षा अभियान के लाभ
समग्र शिक्षा योजना का उद्देश्य बालकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें विभिन्न तरह के कौशलों (SkiIls) एवं ज्ञान में दक्ष करना है। समग्र शिक्षा अभियान से निम्न फायदे हैं-
• संपूर्ण स्कूली शिक्षा के संबंध में समग्र दृष्टिकोण का निर्माण।
• विद्यालयी शिक्षा के लिए प्री. स्कूल (नर्सरी), प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा का पहली बार समावेशन।
• स्कूलों का एक संपूर्ण इकाई के रूप में एकीकृत प्रबंधन । इससे सरकारी विद्यालयों में बुनियादी ढाँचे में सुधार संभव होगा।
• शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों का सुदृढीकरण करना, जिससे अध्यापकों की क्षमता विकास को बढ़ावा मिलेगा।
• गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित किया जा सकेगा एवं बालकों की सीखने की क्षमता को बेहतर बनाने पर बल दिया जा सकेगा।
• शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच तथा समानता के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था संभव।
• शिक्षा का व्यावसायीकरण (Vocationalisation) प्रोन्नत होगा।
• इस कार्यक्रम में यह निर्धारित किया गया है कि शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक्स (EBB), वामपंथी चरमपंथ (नक्सलवाद) से पीड़ित जिलों (LWE), विशेष फोकस जिलों, बोर्डर क्षेत्र एवं 115 आकांक्षित (aspirational) जिलों को वरीयता दी जाएगी।
समग्र शिक्षा अभियान की मुख्य विशेषताएँ
शिक्षा की समग्र अवधरणा (Holistic Appoach)
• विद्यालयी शिक्षा को प्री. स्कूल से कक्षा 12 तवक समग्रता एवं निरंतरता में समझना।
• विद्यालयी शिक्षा के उन्नयन हेतु कार्ययोजना में प्री. स्कूल एवं उच्च माध्यमिक स्तरों को पहली बार एक साथ शामिल किया गया है।
प्रशासनिक सुधार
• शिक्षा उन्नयन व विकास की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु एकीकृत प्रशासनिक ढाँचा, जिससे सुसंगत क्रियान्वयन संभव होगा।
• योजना में राज्यों को विभिन्न हस्तक्षेपों (Interventions) में प्राथमिकताएँं निर्धारित करने की स्वतंत्रता।
• विद्यालय को प्री. स्कूल से कक्षा 12 तक की निरंतरता में देखते हुए एक एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर फोकस
• 1. दो ‘T’ ➤ Teacher एवं Technology पर अधिक ध्यान देकर शिक्षा की गुणवत्ता के संवद्धन पर अधिक बल।
• 2. शिक्षकों एवं विद्यालय प्रधानों का क्षमतावर्द्धन।
• 3. भावी शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने हेतु शिक्षक शिक्षण संस्थानों यथा SCERT एवं DIET’S के सुदृढ़ीकरण पर बल देना।
• 4. राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद् (SCERT) को शिक्षकों को सेवा पूर्व प्रशिक्षण एवं सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान करने वाले नोडल संस्थान के रूप में विकसित करना ताकि यह शिक्षक प्रशिक्षण को आवश्यकता आधारित (Need Based) एवं गतिमान (Dymamic) बना सके।
• 5. विद्यालयों में गणित व विज्ञान के अधिगम को प्रोत्साहन देने हेतु राष्ट्रीय आविष्कार अभियान (RAA) को अधिक समर्थन प्रदान करना।
• 6. बच्चों में प्राथमिक स्तर पर ही आधारभूत कौशलों के समुचित विकास हेतु ‘पढ़े भारत, बढ़े भारत’ अभियान को समर्थन प्रदान करना।
बालिका शिक्षा पर फोकस
• कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालयों को कक्षा 6-8 से उन्नत कर कक्षा 6 से 12 तक करना।
• उच्च प्राथमिक कक्षा से उच्च माध्यमिक कक्षा तक की छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण (Self Defence Training) देना।
• ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और अधिक सुदृढ़ता एवं प्रतिबद्धता से क्रियान्वित करना।
विद्यालयों का सुदृढ़ीकरण
• विद्यालय तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने हेतु कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को समुचित परिवहन सुविधा उपलब्ध करना।
• कपोजिट स्कूल ग्रांट को 14500-50000 रु, से बढ़ाकर 25000-1 लाख रु. प्रति स्कूल करना, जिसे विद्यालय में हुए नामांकन के अनुपात में दिया जाएगा।
• स्वच्छता कार्यक्रम ‘स्वच्छ विद्यालय’ कार्यक्रम के समर्थन हेतु विशेष प्रावधान करना।
• राजकीय विद्यालयों में संरचनात्मक सथार व उसकी गुणवत्ता में सुधार करना।
समावेशी शिक्षा पर फोकस
• RTE एक्ट के तहत् विद्यालय पोशाक हेतु प्रति विद्यार्थी अनुदान की राशि 400 से बढ़ाकर 600 रु. प्रति वर्ष करना।
• RTE एक्ट के तहत् बच्चों को दी जाने वाली निःशुल्क पुस्तकों हेतु ग्रांट प्रति छात्र 150-250 से बढ़ाकर 250-400 रु. प्रतिवर्ष की गई।ऊर्जावान पुस्तकों को प्रारंभ किया जाएगा।
• विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को दी जाने वाली वार्षिक ग्रांट 3000 रु. प्रति बच्चे से बढ़ाकर 3500 रु. प्रति बच्चा की गई तथा विशेष आवश्यकता वाली बालिका को 200 रु. प्रतिमाह स्टाइपण्ड और दिया जाएगा।
• कौशल विकास पर अधिक बल दिया जाएगा।
• कक्षा 9 से 12 के पाठ्यक्रम के साथ व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Education) को एकीकृत कर उसे और उपयोगी एवं उद्योगोन्मुख बनाना।
खेल एवं शारीरिक शिक्षा पर फोकस
1. खेल-कूद शिक्षा को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाना ।
2. प्रत्येक प्राथमिक स्कूल को 5000 रु. वार्षिक खेल अनुदान, उच्च
प्राथमिक स्कूल को 10000 एवं माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूल
को 25000 रु. खेल ग्रांट दी जाएगी।
क्षेत्रीय संतुलन पर फोकस
• सभी क्षेत्रों के संतुलित शैक्षिक विकास को प्रोत्साहन
• शैक्षिक रूप से पिछड़े (EBB), वामपंथी चरमवाद (LWE) से पीड़ित जिलों या विशेष फोकस जिले (SFDs), सीमावर्ती जिलों व 115 Aspirational जिलों को प्राथमिकता प्रदान करना।
डिजीटल शिक्षा पर अधिक फोकस
• माध्यमिक विद्यालयों में अगले 5 वर्षों में ‘ऑपरेशन डिजीटल बोर्ड” को पूर्ण समर्थन एवं शिक्षा में ‘स्मार्ट क्लासरूम’, डिजीटल बोर्ड एवं DTH चैनल्स के माध्यम से डिजीटल तकनीक का अधिक प्रयोग
• U-DISE+ एवं शगुन जैसे डिजीटल पोर्टल्स का सुदृढ़ीकरण
• उच्च प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ICT अध: संरचना का सुदृढ़ीकरण।
समसा के तहत स्कूली शिक्षा में प्रमुख हस्तक्षेप (Interventions)
वर्ष 2018-19 में प्रारंभ ‘समसा’ के तहत् प्रस्तावित विद्यालयी शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रमुख हस्तक्षेप (Interventions) निम्न प्रकार हैं –
1. शिक्षा के बनियादी ढाँचे के विकास और विद्यालय में ठहराव (Retention) सहित शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच (Universal Access)
2. मूलभूत साक्षरता (foundational literacy) एवं संख्यात्मक ज्ञान (numeracy)
3. लिंग व समानता (Gender and Equity)
4. समावेशी शिक्षा (Inclusive Education)
5. गुणवत्ता व नवाचार (Quality and Innovation)
6. शिक्षकों के वेतन हेतु वित्तीय सहायता
7. डिजीटल पहल
8. स्कूल ड्रेस, पाठ्यपुस्तकें आदि सहित अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) की हकदारी (Entitlements) को मंजूरी
9. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) के लिए सहायता (Support)
10. व्यावसायिक शिक्षा (vocational education)
11. खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा।
12. अध्यापक शिक्षा (TE) एवं प्रशिक्षण का सुदूढीकरण।
13. निगरानी (monitoring)
14. कार्यक्रम प्रबंधन (Programme management)
15. राष्ट्रीय घटक (National Component)
समसा (संशोधित ) में विद्यालयी शिक्षा में नये हस्तक्षेप (New Interventions)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP, 2020) की सिफारिशों के तहत् संशोधित समग्र शिक्षा योजना में स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों में निम्नलिखित नये हस्तक्षेप शामिल किये गये हैं –
• योजना की प्रत्यक्ष पहुँच को बढ़ाने हेतु सभी बाल केन्द्रित हस्तक्षेप (all child centric inteventions) एक निश्चित समयावधि में प्रौद्योगिकी आधारित प्लेटफॉर्म पर प्रत्यक्ष लाभ अन्तरण (DBT) मोड के माध्यम से सीधे विद्यार्थियों को प्रदान किये जाएँगे।
• सभी बच्चों की एक समान और समावेशी कक्षा के माहौल के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच हो एवं जिसमें उनकी विविध पृष्टभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं तथा विभिन्न शैक्षणिक योग्यताओं का भी ध्यान रखा गया हो तथा जो उन्हें सीखने की प्रक्रिया (learning process) में सक्रिय भागीदार बनाये।
• स्कीम में केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों व विकास एजेन्सियों के मध्य तालमेल की प्रभावी व सुदृढ़ व्यवस्था होगी।
• व्यावसायिक शिक्षा (vocational education) का विस्तार कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय के साथ मिलकर किया जाएगा। विद्यालयों व आईटीआई तथा पॉलिटेक्निक संस्थानों की विद्यमान सुविधाओं का अधिकतम संभव उपयोग न केवल विद्यालयी बच्चों हेतु बल्कि विद्यालय से बाहर के बच्चों के लिए भी किया जाएगा।
• आँगनबाडी वर्कर्स एवं आरंभिक बाल्यावस्था देखभाल व शिक्षा (ECCE) शिक्षकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु मास्टर ट्रेनर्स (कुशल प्रशिक्षकों ) को ट्रेनिंग देने का प्रावधान।
• राजकीय विद्यालयों में प्री – प्राइमरी (पूर्व – प्राथमिक) वर्गों के बालकों हेतु शिक्षण अधिगम सामग्री (TLM), स्वदेशी खिलौने एवं खेलकूद तथा खेल आधारित गतिविधियों के लिए कुल 500 रु. प्रति विद्यार्थी प्रतिवर्ष तक का प्रावधान।
‘निपुण भारत’-
NIPUN➤National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy
मौलिक साक्षरता एवं संख्यात्मकता (Foundational Literacy and Numeracy) पर एक राष्ट्रीय मिशन’:
• “निपुण भारत’ (: NIPUN) को समग्र शिक्षा के तहत् 5 जुलाई, 2021 को लांच किया गया।
• इस मिशन का मुख्य ध्येय यह सुनिश्चित करना है कि कक्षा III एवं कक्षा V के बीच प्रत्येक बालक पढ़ने,लिखने एवं संख्यात्मक ज्ञान की वांछित अधिगम अभिक्षमताएँ (desired learning competencies) अर्जित कर सके ।
• इस मिशन के तहत् 500 रु. प्रति बालक प्रतिवर्ष , 150 रु. प्रति अध्यापक नियमावली व संसाधनों हेतु एवं 10-20 लाख रु. प्रति जिला मूल्यांकन हेतु निर्धारित किया गया है।
• सैकण्डरी एवं प्राइमरी स्तर के शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु NCERT द्वारा “निष्ठा (NISHTHA)’ कार्यक्रम के तहत् विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार करना।
• प्री प्राइमरी से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के बुनियादी ढाँचे (basic infrastructure) को सुदृढ करना। Note: पूर्व में प्री-प्राइमसी को इससे बाहर रखा गया था।
• सभी कन्या छात्रावासों में सैनीटरी नैपकिन्स वेण्डिंग मशीन एवं भस्मक (Incinerator) स्थापित करना।
• सभी वर्तमान सीनियर सैकण्डरी स्कूलों में नई स्ट्रीम (stream) की बजाय नये विषय जोड़ना।
• परिवहन सुविधा को 6000 रु. प्रतिवर्ष की दर से माध्यमिक स्तर तक बढ़ाना।
• स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर के 16 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के SC एवं ST या दिव्यांग बच्चों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (NIOS) या राज्य मुक्त विद्यालय (SOS) के माध्यम से माध्यमिक / उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा पूरी करने हेतु प्रतिवर्ष 2000 रु. की सहायता देना।
• किसी विद्यालय में कम से कम 2 विद्यार्थियों के राष्ट्रीय स्तर पर “खेलो इंडिया” स्कूल गेम्स में पदक जीतने पर विद्यालय को 25000 रु. तक का अतिरिक्त खेल अनुदान देना।
• बस्ता रहित (bagless) दिनों, स्कूल परिसरों में स्थानीय हस्तशिल्पियों के साथ उनके हुनर को सीखना (Internship), पाठ्यक्रम व शैक्षणिक सुधार आदि के प्रावधान।
• सभी KGB (कस्तूरबा गांधी ) विद्यालयों को 12वीं तक क्रमोन्नत कना।
• राष्ट्रीय मूल्यांकन केन्द्र ‘परख‘: PARAKH (Performanee Assessments, Review and Analysis of knowledge for Holistic Development) की गतिविधियों के लिए समर्थन (Support) देना।
• समसा में भाषा शिक्षक की नियुक्ति का नया घटक जोड़ा गया है। साथ ही शिक्षकों को वेतन सहायता के अलावा शिक्षकों की ट्रेनिग द्विभाषी पुस्तकें (Bilingual Books) एवं शिक्षण अधिगम सामग्री(TLM) के प्रावधान को भी जोड़ा गया है।
• कक्षा IX से XII तक केजीबी टाइप IV विद्यालयों के लिए वर्तमान में अलग-थलग पड़े कन्या छात्रावासों के लिए वित्तीय सहायता को वर्तमान 25 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रु. वार्षिक करना।
• सूचना, संवाद एवं ट्रेनिंग (ICT: Information, Communication & Training) लैब्स, डिजिटल बोर्ड, स्मार्ट कक्षाओं , वर्चुअल क्लासरूम्स एवं DTH चैनल्स के लिए प्रावधान करना।
• प्रतिवर्ष 20%, विद्यालयों के सामाजिक अंकेक्षण (Social Audit) हेतु सहायता देना ताकि 5 वर्ष की समयावधि में सभी विद्यालय इसमें कवर हो सकें।
समग्र शिक्षा अभियान की गवर्निग काउंसिल:
• समग्र शिक्षा अभियान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक शासी परिषद् (Governing Council) तथा केन्द्रीय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में ‘प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB) का गठन किया गया है ।
• शासी परिषद् को समसा योजना के वित्तीय फ्रेमवर्क में परिवर्तन करने की शक्तियाँ हैं एवं योजना के ओवरऑल फ्रेमवर्क के अधीन इसके क्रियान्वयन के दिशा-निर्देश (Guidelines) तय करने का अधिकार है।
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्
• फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा अभियान (समसा: SAMSA)’ के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राज्य में राजस्थान प्राथमिक शिक्षा परिषद् एवं ‘राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद’ दोनों के स्थान पर ‘राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद’ का गठन वर्ष 2018 (शिक्षण सत्र 2018-19) में किया गया।
• इसकी शासी परिषद के अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री तथा उपाध्यक्ष-शिक्षामंत्री एवं मुख्य सचिव, राजस्थान हैं ।
• यह परिषद् राज्य में समग्र शिक्षा अभियान की एकल राज्य स्तरीय क्रियान्वयन स्मिति (SIS) है।
• इस परिषद का नियंत्रण ‘आयुक्त’ (Commissioner) में निहित है, जिसके अधीन राज्य परियोजना निदेशक एवं अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक (2) एवं उनके नीचे कई अधिकारी कर्मचारी कार्यरत हैं ।
• जिला स्तर पर इस परियोजना के प्रभारी ‘मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी (CDEO) हैं।
• ब्लॉक स्तर पर इस परिषद् का प्रभारी अधिकारी ‘मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी’ (CBEO) एवं पदेन बीआरसीएफ है।
• राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद प्रदेश में प्री – प्राइमरी से कक्षा 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के समेकित व संपूर्ण विकास के लिए कार्य करेगी।
कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय ( KGBV )
• कस्तूरबां गाधी बालिका विद्यालय (KGBV) योजना केन्द्र सरकार द्वारा अगस्त, 2004 में प्रारंभ की गई थी। बाद में इसे स्वशिक्षा अभियान में शामिल कर दिया गया।
• अब यह ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के अन्तर्गत संचालित है ।
• सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 30 जिलों के शैक्षिक दुष्टि से पिछड़े 186 विकास खंडों, जिनमें ग्रामीण महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय महिला साक्षरता दर से कम है तथा जेंडर गैप (पुरुष साक्षरता दर व महिला साक्षरता दर का अन्तर) 20 प्रतिशत से अधिक है व 14 अल्पसंख्यक बाहुल्य शहरी क्षेत्रों में, जिनमें 20 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक हैं, कुल 200 कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय संचालित हैं।
• कक्षा 6 से 8 तक संचालित इन विद्यालयों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, सिर पर मैला ढोने वाले परिवारों की बालिकाएँ, सेक्सवर्कर परिवारों की बालिकाएँ, विशेष आवश्यकता वाली बालिकाएँ एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली बालिकाएँ अध्ययन करती हैं।
• KGB विद्यालय में उन्हें नि:शुल्क शिक्षा, आवास, भोजन एवं दैनिक उपयोगी सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
• सभी केजीबीवी में 5% सीटों पर विशेष आवश्यकता वाली बालिकाओं (CWSN) को प्रवेश दिया जाना आवश्यक है।
• अल्पसंख्यक वर्ग के लिए स्वीकृत 14 KGBV में 75% सीटों पर अल्पसंख्यक वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है।
केजीबी विद्यालयों के प्रमुख उद्देश्यः
• इन विद्यालयों का उद्देश्य वंचित वर्ग की उन बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ना है, जो कठिन परिस्थितियों और दुर्गम स्थानों में रहते हुए किसी भी कारणवश विद्यालय नहीं जा सकीं।
• ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित वर्गों (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले BPL समुदाय) में व्याप्त शैक्षिक असंतुलन को कम करना।
• प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा में बालिकाओं में नामांकन के अन्तर को कम करना।
• बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराना।
• बालिकाओं का विद्यालय में अधिकाधिक ठहराव सुनिश्चित करना।
शारदे बालिका छात्रावास योजना
• शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुये 186 ब्लाक्स में गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक स्तर की शिक्षा की पहुँच बालिकाओं तक बनाने के लिये माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययनरत बालिकाओं के आवास हेतु 186 ‘शारदे बालिका छात्रावासों की स्थापना की गई थी।
• सत्र 2018-19 में समग्र शिक्षा अभियान प्रारंभ होने पर केजीबी विद्यालय एवं शारदे बालिका छात्रावास को एकीकृत कर समग्र शिक्षा अभियान के तहत दोनों विद्यालय (कुल 318) केजीबीवी के नाम से संचालित किए जा रहे हैं ।
• वर्ष 2019-20 में केजीबी विद्यालयों की संख्या 319 हो गई ।
शगुन / ShaGun
‘शगुन’ का अर्थ
• ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ एक ऐसा ही प्लेटफार्म है, जिसके ज़रिये शिक्षा की नींव को मज़बूती मिलेगी। ‘शगुन’ में ‘श’ शब्द का आशय ‘शाला’ से है, जिसका अर्थ स्कूल से है और ‘गुन’ का तात्पर्य गुणवत्ता से है।
• 28 अगस्त, 2019 को मानव संसाधन मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को सुदृढ़ता प्रदान करने के उद्देश्य से विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन जंक्शनों में शामिल एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ (SE ShaGun) की शुरुआत की।
• इस ऑनलाइन जंक्शन के ज़रिये स्कूली शिक्षा से जुड़े सभी ऑनलाइन पोर्टल्स और वेबसाइट को जोड़ने की पहल की गई है।
• यह स्कूल एजुकेशन का इंटिग्रेटेड ऑनलाइन जंक्शन है, जिसे 28 अगस्त, 2019 को केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने लॉन्च किया।
• इस पोर्टल पर देश भर के स्कूलों के हालात, उनमें पढ़ाई के स्तर एवं किसी भी तरह की अन्य जानकारी घर बैठे कम्प्यूटर या मोबाइल पर प्राप्त की जा सकती है ।
• इस पोर्टल पर विद्यालयी शिक्षा से जुड़ी किसी भी जानकारी को हासिल किया व उससे जुड़ी कोई भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
• इस एकीकृत जंक्शन (शगुन) पर विद्यार्थियों के अधिगम संवर्द्धन हेतु सभी प्रकार की ई -सामग्री भी एक स्थान पर उपलब्ध है।
• इसमें राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संसाधन रिपोजिटरी (Natinal Repository of Open Educational Resources –NRDER), ई-पाठशाला एवं डिजीटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (DIKSHA-दीक्षा) शामिल हैं ।
• समसा के क्रियान्वयन एवं मॉनि्टरिंग में विभाग को ‘Educational Consultants of India Ltd’ (EdCIL)’ के माध्यम से एक ‘टेक्नीकल सपोर्ट ग्रूप’ (TSG) की तकनीकी सहायता प्राप्त होगी।
• इस योजना में राज्यों/UTs को योजना के समग्र फ्रेमवर्क के अन्तर्गत अपने क्षेत्र के अनुसार अपने हस्तक्षेप निर्धारित करने एवं उन्हें Prioritize करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।